गिनीज बुक में नाम

उस दिन एक ठो परसिद्ध पतरिका पर जब हमरी नजर पड़ी, तो हम चौंक गए। का है कि बिहार के मुख्य मंतरी को उसमें देश का नम्बर वन मुख्य मंतरी बताया गया है। हमको तो विश्वासे नहीं हुआ। अभिये तो लालू जी ने कहा था कि बिहार कभियो सुधर नहीं सकता, फिर अचानक ई कैसे हो गया...। पहले तो लगा कि फागुन का महीना शुरू हो चुका है, इसलिए होली विशेषांक के फेर में पतरकार सब बौरा गए होंगे। लेकिन चुटकुला जैसन लगने वाली ई बात थी बहुत सीरियस।

हमरे खयाल से ई तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज होने वाली बात है। का है कि उसमें ऐसने चीजों को जगह मिलती है न, जो अब तक हुआ न हो। तो बिहार में भी ऐसन अभी तक नहीं हुआ था। वहां की एक पूरी पीढ़ी बच्चे से जवान औरो जवान से बूढ़ा होने के कगार पर पहुंच गई, लेकिन वहां के मुख्यमंतरी का नाम कभियो सुधरल मुख्यमंतरी के लिस्ट में टाप पर नहीं रहा। हां, नीचे से टाप में उनका नाम जरूर शुमार होता रहा है। ऐसन में हमको लगता है कि नितीश बाबू को गिनीज बुक में अपने नाम की दावेदारी कर ही देनी चाहिए।

हालांकि हमको इसमें कुछ परोबलम भी नजर आ रहा है। जैसे ई कि दुनिया तब हंसेगी कि देखो विश्व के सबसे बड़े औरो मजबूत लोकतांतरिक देश में ऐसनो राज्य है, जिसकी एक पीढ़ी खप गई, लेकिन उसको ढंग का मुख्य मंतरी नहीं मिला। तब हार्वर्ड जैसन विदेशी विश्वविद्यालय सब इसको अपना केस स्टडियो बना सकता है। स्टडी का विषय कुछ ऐसन हो सकता है-- बूझो तो जानूं : जिस व्यवस्था में पांच साल पर निकम्मी सरकार को पलटने का प्रावधान हो, वहां एक राज्य को दशकों तक बढि़या मुख्य मंतरी कैसे नहीं मिला? वैसे, आप ई कह सकते हैं कि इससे जगहंसाई होगी, लेकिन फायदा तभियो होगा-- का है कि ढोल की पोल तो खुलेगी।

वैसे भी ई रिसर्च का विषय है कि खोट किसी व्यवस्था में होता है या नेता सब मंतरी, मुख्य मंतरी बनने के बाद व्यवस्था में खोट पैदा कर देता है। हमरे खयाल से ई बड़का पहेली है? खोट नेता में होता है, ई कहना इसलिए मुश्किल है, काहे कि जो रेल वाले मंतरी रेल को रिकार्ड फायदा दिलाने औरो हार्वर्ड के इस्टूडेंट को बिजनेस पढ़ाने का दावा करते हैं, पंदह साल तक बिहार उनके ही कब्जे में रहा औरो खुद उनका नाम कभियो सुधरल मुख्य मंतरी की लिस्ट में नहीं आ पाया!

तो का खोट व्यवस्था में है? ईहो कहना मुश्किल है। काहे कि जिस बिहार के बारे में इसी रेल वाले मंतरी जी ने कहा कि ऊ सुधर नहीं सकता, ऊ आजकल सरपट दौड़ने की तैयारी में लगल है औरो वहां का मुख्य मंतरी तमाम राज्यों के मुख्य मंतरी को पछाड़कर नंबर वन मुख्य मंतरी घोषित हो रहा है! सवाल है कि अगर वहां की व्यवस्था में ही खोट होता, नितीश का कर लेते?

अब जब न खोट नेता में है औरो न व्यवस्था में, तो खोट है कहां? चलिए एक बार नितीश जी गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज कराने का दावा भर कर दें, तो मीडिया इस मुद्दे का ऐसन पोस्टमार्टम करेगा कि सबका कन्फ्यूजन दूर हो जाएगा!

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
बिहार बधाई के पात्र है, वैसे पत्रिका कौन-सी है.
ePandit ने कहा…
"काहे कि जो रेल वाले मंतरी रेल को रिकार्ड फायदा दिलाने औरो हार्वर्ड के इस्टूडेंट को बिजनेस पढ़ाने का दावा करते हैं, पंदह साल तक बिहार उनके ही कब्जे में रहा औरो खुद उनका नाम कभियो सुधरल मुख्य मंतरी की लिस्ट में नहीं आ पाया!"

इन्हीं मुख्यमन्त्री के कारण तो बिहार की लुटिया डूबी।
ghughutibasuti ने कहा…
वाह! एक बार फिर बिहारी हिन्दी सुनने को मिली । यदि सच में सुधार हुआ है तो भाई, हमारी बधाई स्वीकारें । जब हम वहाँ थे तो यदि रात में चैन से सोना चाहते थे तो सब लोग मिलजुलकर बारी बारी रात को पहरा देते थे । तब जाकर सप्ताह में ६ दिन सोने को मिलता था ,सातवें दिन होती थी पहरेदारी । वैसे यह काम मैं नहीं पतिदेव करते थे ।
घुघूती बासूती
ghughutibasuti.blogspot.com
Reetesh Mishra ने कहा…
Nice stories...

Shine likes sun and grow likes mushroom...

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