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मार्च, 2008 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हाकी की लुटिया

हाकी की लुटिया डूब गई, लोग बहुते निराश हुए। पूरे देश में बस एके ठो आदमी है, जो तनियो ठो परेशान नहीं हुआ औरो ऊ हैं हाकी महासंघ के अध्यक्ष गिल साहब। हमने सोचा, चलो मातम की इस बेला में गिल साहब से हाकी के बारे में बतिया लिया जाए। हम पहुंचे गिल साहब के पास। हमने कहा, 'बधाई हो, आपने ऊ कर दिखाया, जो 80 साल में कोयो नहीं कर सका था?' ऊ बोले, 'धन्यवाद, चलिए इसी बहाने आप लोगों को हाकी की याद तो आई। हम हाकीवाले धन्य हो गए।' इससे पहले कि हम दूसरा सवाल पूछते, ऊ हमहीं से पूछ बैठे, 'तो का आप अपने अखबार में सबसे निकम्मे हैं?' मैं सकपका गया, 'आप ई काहे पूछ रहे हैं?' ऊ बोले, 'जो पतरकार अपने को बहुते काबिल समझता है, ऊ तो किरकेट कवर करने के लिए जुगाड़ लगाता है, संपादक की सेवा करता है। संपादक भी तो निकम्मों को ही हाकी कवर करने में लगाते हैं!' हमने झेंप मिटाई, 'आप तो जिसके पीछे लगते हैं, उसी को मिटा डालते हैं। पहले पंजाब से आतंक खतम किया औरो अब देश से हाकी को। आपने अपनी काबिलियत से पंजाब में आतंकवादियों का सफाया किया था या फिर बस आपकी 'मिटाने' की आदत की वज

नेताजी का बजट

देश को बजट मिल गया। सत्ता में बैठे नेताजी सब खुश हैं, उनके दोनों मंतरियों ने एकदम धांसू इलेक्शन वाला बजट पेश किया है, तो विपक्षी नेताओं की परेशानी ई है कि बजट का पोस्टमार्टम कर ऊ जनता को जो उसका सड़ा-गला पार्ट दिखा रहे हैं, उसको देखकर जनता को हार्ट अटैक नहीं हो रहा। एक ठो विपक्षी नेताजी मिले, बोले, 'पब्लिक निकम्मी हो गई है। लालू ने सब्जबाग दिखा दिया, ऊ खुश हो गई... चिदंबरम ने ख्वाब दिखाया, ऊ खुश हो गई। हमरी तो कोयो सुनबे नहीं करता है। हम कह रहा हूं कि ई बोगस बजट है, इससे लोगों का भला नहीं होगा, लेकिन पब्लिक है कि समझने को तैयार नहीं है। हमने जनता से आह्वान किया कि बजट के विरोध में धरना-परदरशन करने चलिए, लेकिन पब्लिक की बदमाशी देखिए कि विरोध परदरशन में हमरे दस ठो चमचा को छोड़कर कोयो नहीं आया। अब मरे जनता, हमरे बाप का का जा रहा है, अपनी लाइफ तो सेटल है।' हम जनताजी के पास पहुंचे। जनता का कहना था कि जब यही विपक्षी नेताजी सत्ता में थे, तो इन्होंने बजट में हमरा खून चूस लिया था। बजट बना-बनाकर पांच साल में इन्होंने हमको कंगाल बना दिया, तो हमने इन्हें सत्ता से बाहर कर दिया। अब हमरे देह