हाकी की लुटिया

हाकी की लुटिया डूब गई, लोग बहुते निराश हुए। पूरे देश में बस एके ठो आदमी है, जो तनियो ठो परेशान नहीं हुआ औरो ऊ हैं हाकी महासंघ के अध्यक्ष गिल साहब। हमने सोचा, चलो मातम की इस बेला में गिल साहब से हाकी के बारे में बतिया लिया जाए। हम पहुंचे गिल साहब के पास।

हमने कहा, 'बधाई हो, आपने ऊ कर दिखाया, जो 80 साल में कोयो नहीं कर सका था?' ऊ बोले, 'धन्यवाद, चलिए इसी बहाने आप लोगों को हाकी की याद तो आई। हम हाकीवाले धन्य हो गए।'
इससे पहले कि हम दूसरा सवाल पूछते, ऊ हमहीं से पूछ बैठे, 'तो का आप अपने अखबार में सबसे निकम्मे हैं?'

मैं सकपका गया, 'आप ई काहे पूछ रहे हैं?' ऊ बोले, 'जो पतरकार अपने को बहुते काबिल समझता है, ऊ तो किरकेट कवर करने के लिए जुगाड़ लगाता है, संपादक की सेवा करता है। संपादक भी तो निकम्मों को ही हाकी कवर करने में लगाते हैं!'

हमने झेंप मिटाई, 'आप तो जिसके पीछे लगते हैं, उसी को मिटा डालते हैं। पहले पंजाब से आतंक खतम किया औरो अब देश से हाकी को। आपने अपनी काबिलियत से पंजाब में आतंकवादियों का सफाया किया था या फिर बस आपकी 'मिटाने' की आदत की वजह से ऐसा हो गया?'

ऊ बोले, 'कहना मोश्किल है। ई तो आप उन लोगों से पूछिए, जिन्होंने हमरी परतिभा देखकर मुझे हाकी का ठेकेदार बनाया था!' हमने कहा, 'कोयो आपको इस ठेकेदारी से हटाता काहे नहीं है?' इसके लिए टैम किसके पास है? पब्लिक को किरकेट देखने से फुरसत नहीं मिल रहा, तो नेता किरकेटरों को सम्मानित करने में बिजी है। मीडिया ने कृषि मंतरी शरद पवार को किरकेट मंतरी बनाकर रख दिया है, लेकिन गिल कौन है, आप में से बहुते पतरकारों को पतो नहीं होगा। बच्चा सब एक मिनट में बता देगा कि किरकेटिया आईपीएल में कितनी टीमें खेलेंगी, लेकिन देश में इंडियन प्रीमियर हाकी लीग जैसन चीज भी है, ई कोयो नहीं बता पाएगा! अब आप ही बताइए, एतना उपेक्षित खेल का मुखिया बनना कम साहस की बात है? अगर आज यही खेल किरकेट जैसन हिट होता, तो हमरे जैसन बूड्ढे को तो लोग कभिये का कुर्सी से लुढ़का चुके होते। आप तो हमको धन्यवाद दीजिए कि एतना फेमस आदमी होकर भी हम हाकी से चिपका हुआ हूं, बीसीसीआई अध्यक्ष बनने की कोशिश नहीं कर रहा। अब बूढ़ा हो गया हूं, हाकी स्टिक इसी समय तो सहारे के काम आती है।

हमने कहा, 'खेल मंतरी तक कह रहे हैं कि ऊ हाकी के बारे में कुछो नहीं बोलना चाहते?'

गिल साहब दहाड़े, 'ऊ बोलेंगे किस मुंह से? बोलेगा तो ऊ, जिसने कभियो हाकी के लिए कुछो किया हो। हाकी राष्ट्रीय खेल है, लेकिन केतना हाकी स्टेडियम है देश में? अब लोग गली में स्टिक घुमाकर तो हाकी खिलाड़ी बन नहीं सकते। सरकार गली-मोहल्ले में सेज खड़ी कर रही है, दिल्ली जैसन जगह में निलामी में जमीन बेच रही है, लेकिन स्टेडियम के लिए उसके पास जमीन नहीं है। अब या तो सरकार अपने जमीन बेचकर खजाने में अरबों जमा कर ले या फिर हाकी की सुध ले ले। जिस हाकी के लिए आप मरे जा रहे हैं, लोग तो उस पर फिलिम बनाकर करोड़ों कमाते हैं औरो फिर आईपीएल की एक ठो टीम खरीद लेते हैं! बढ़िया होगा आप भी हाकी के बारे में कुछो मत बोलिए, किरकेट पर लिखिएगा, तो लोगों में पहचान बनेगी, जिसकी आपको सख्त जरूरत है।

गिल साहब की सलाह ने हमको सोचने पर विवश कर दिया है. सोचता हूँ इससे पहले कि हमरी हालत गिल जैसी हो, हमको पवार बनने की कोशिश कर लेनी चाहिए. आप का सोचते हैं?

टिप्पणियाँ

भाई, मीडिया को लगा दीजिए पीछे। कुछ तो सुधरेगी हॉकी।

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