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आजादी के नाम पर...

सभी आजाद रहना चाहते हैं, लेकिन दिक्कत यह है कि आजादी की सबकी परिभाषा अलग-अलग है। संभव है कि जहां से किसी की आजादी शुरू होती हो, वहां किसी के लिए इसका अंत हो रहा हो, लेकिन हम इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं। हमने इतने स्वतंत्रता दिवस मना लिए, लेकिन सच यही है कि ज्यादातर लोग आज भी आजादी को गलत अर्थों में ही ले रहे हैं: जिन लोगों ने आजादी की लड़ाई लड़ी थी और सचमुच में आजादी क्या होती है, इसे शिद्दत से महसूस किया था, अगर उन चुनिंदा बचे- खुचे लोगों से आप बात करें, तो पाएंगे कि वे देश में ब्रिटिश शासन की वापसी चाहते हैं। उन्हें देश का आज का रंग-ढंग कुछ रास नहीं आ रहा। वे चाहते हैं कि जो अनुशासन अंग्रेजों के समय में था, वह फिर से देश में वापस आए। आजादी के नाम पर आज जिस तरह से सब कुछ बेलगाम है, वह उनसे सहा नहीं जाता। वैसे, उन लोगों का दर्द समझा भी जा सकता है। आज लोग हर वह काम कर रहे हैं, जो वे करना चाहते हैं और यह सब कुछ हो रहा है आजादी के नाम पर। व्यक्तिगत आजादी के नाम पर वे दूसरों की स्वतंत्रता छीन रहे हैं, बोलने की आजादी के बहाने वे दूसरों को बोलने से रोक रहे हैं, लोकतांत्रिक तरीके से वि