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आप भी घी के दीये जलाइए

आजकल बाजार में दीवाली की चमक-धमक है। लेकिन हमरे समझ में ई नहीं आता कि ई रौनक आखिर है किसके भरोसे। कभियो लगता है कि ई चकाचौंध ओरिजिनल है, तो कभियो लगता है कि भरष्टाचार की बैसाखी के बिना बाजार चमकिए नहीं सकता। फिर जब से परधानमंतरी जी ने ई कहा है कि बिना दलाल के काम चलिए नहीं सकता, तब से हम औरो कनफूज हो गया हूं। उस दिन चौरसिया जी मिल गए। पिछली बार मिले थे, तो बहुते दुखी थे, लेकिन इस बार उनका चेहर लालू जी जैसन लाल था। कहने लगे, 'स्थिति तो बहुते खराब हो गई थी, लेकिन अब ठीक है। बताइए, सरकार की सबसे दुधारू विभाग के सामने अपनी चाय-पान की दुकान है, लेकिन बोहनी तक नहीं हो रहा था। सीलिंग के चक्कर में सब बरबाद हो गया। पबलिक का काम होता था, तो किरानी बाबू सब पबलिक से अपना 'सत्कार' हमरी दुकान पर ही करवाते थे। उनको लेन-देन के लिए सुरक्षित जगह मिल जाती थी औरो हमरी दुकान चल जाती थी। लेकिन जब कोर्ट के डर से गलत को कौन पूछे, सहियो काम नहीं हो रहा था, तो हमरी दुकान चलती कैसे? खैर, अब मामला ठीक है, साहब से लेकर चपरासी तक टंच हैं।' दरअसल, चौरसिया जी की चिंता ऐसने नहीं दूर हुई है। उनके पास ऊप

मच्छर ने किसको बनाया हिजड़ा

देश में आजकल दू तरह के जीवों का आतंक कायम है- एक तो आतंकवादी, दूसरा मच्छर। दोनों के आतंक से देश की हालत खराब है। हमको तो लगता है कि दोनों एक-दूसरे के पर्याय हो गए हैं। आप चाहें तो मच्छर को आतंकवादी कह दीजिए औरो आतंकवादी को मच्छर, काहे कि दोनों को मनमानी की पूरी छूट है औरो दोनों कहीं भी पहुंच सकते हैं- पुरानी दिल्ली की गलियों से लेकर परधान मंतरी निवास औरो संसद तक। औरो फिर दोनों किसी पर भी अटेक कर सकता है। जिस तरह डेंगू अपने घासीराम को हुआ, तो परधानमंतरी के नातियों को भी, उसी तरह आतंकियों से जेतना हम डरते हैं, ओतने परधानमंतरी। 'एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है' ई नाना पाटेकर का परसिद्ध डायलाग है। ऐसने आप भी एक ठो डायलाग बना सकते हैं-- 'एक आतंकवादी नेताओं को हिजड़ा बना देता है।' संसद पर हमला करवाने वाले अफजल को फांसी पर लटकाने में नेता लोग जैसन नौटंकी कर रहे हैं, ऊ यही तो दिखाता है। वैसे भी मच्छर औरो आतंकियों के बीच एतना समानता है कि हर बम बिस्फोटों की तरह डेंगू के लिए भी भारत सरकार पाकिस्तान औरो आईएसआई को दोषी ठहराकर अपना पल्ला झाड़ सकती है। उस दिन अपनी प्रजाति पर गर्व

कैटरीना की स्कर्ट

लीजिए, खड़ा हो गया एक ठो औरो बवाल! कैटरीना स्कर्ट पहनकर अजमेर शरीफ दरगाह का गई, कट्टरपंथियों ने बवाल मचा दिया। कम कपड़े पर बवाल औरो उहो ऐसन देश में, जहां गरीबों को तन ढंकने के लिए पूरा कपड़ा तक नसीब नहीं होता, हमरी समझ से परे है। माना कि कैटरीना गरीब नहीं है, लेकिन देश में ऐसन करोड़ों गरीब महिला आपको मिल जाएंगी, जिनको टांग क्या, छाती ढंकने के लिए भी कपड़े नसीब नहीं होते। तो का दरगाह जाने का हक उनको नहीं है? बताइए, ई दुनिया केतना अजीब है! गरीब गरीब बनकर अपने लिए दुआ भी नहीं कर सकता। आपको किसी दरगाह या इबादतखाना में जाना है, तो पहले भीख मांगकर पूरा तन ढंकिए, तब जाकर अपनी गरीबी दूर करने के लिए आप दुआ कर सकते हैं! बहुत बढि़या! गरीब को गरीबी से चिपकाकर रखने का इससे बढि़या फर्मूला धरम के ठेकेदारों को औरो कोयो मिलियो नहीं सकता। वैसे, एक ठो बात बताऊं, ई गरीबो सब न एकदम से बदमाश होते हैं। जबर्दस्ती हमेशा गरीबी से दूर भागने की कोशिश करते रहते हैं। अब जिस अमीरी को भोगने के लिए आप पैदा ही नहीं हुए हैं, उस चीज को पाने की कोशिशे काहे करते हैं? आप तो बस फटे-चिटे बुरके में दरगाह औरो इबादतगाहों में आते