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राम सेतु की पंचायत में अम्मा

कुल की नैया डूबती देख आखिरकार अम्मा को मैदान में डैमेज कंटरोल के लिए कूदना ही पड़ा। ऐसे तो ऊ हर समय अपने बिगड़ैल बच्चा सब का कान उमेठते रहती हैं, लेकिन बचवा सब है कि सुधरने का नाम ही नहीं लेते। अम्मा एक झगड़ा निबटाती नहीं कि बचवा सब दूसरे झगड़ा में उनको घसीट लेता है। अभिए तो उन्होंने परमाणु मुद्दे पर किसी तरह सेथ-मेथ कर तलाक को टाला था कि बचवा सब राम का अस्तित्व ही मिट्टी में मिलाने पर तुल गए औरो उनको मैदान में कूदना पड़ा। अम्मा का मानना है कि वामपंथियों को छेड़ना अलग बात है औरो बजरंगियों को छेड़ना अलग, लेकिन बचवा सब है कि समझने को तैयारे नहीं है। खैर, अम्मा पंचों के सामने पेश हुई हैं औरो डैमेज कंटरोल कर रही हैं, आखिर 'पापी' वोट का सवाल है - पंच: आपका कुल राम को नहीं मानता? अम्मा: नहीं हुजूर, ऐसा नहीं है। अब का है माई-बाप कि बचवा सब नादान हैं, अभी राजनीति सीखिए रहे हैं, इसलिए गलती हो गई। अब आप ही देखिए न, अगर इनको देश चलाना आता, तो सरकार हमरे इशारे पर काहे नाचती? परधानमंतरी डमी काहे होता? पंच: तो आप उनको राजनीति सिखाती काहे नहीं हैं? अम्मा: हुजूर, ऐसा है कि अगर वे राजनीति स

चैनल वाले बाबा

मिसिर जी ने टीवी देखकर अपनी मेहरारू को बुलाया। चैनलों पर सरौते वाले बाबा का आशरम दिखाया जा रहा था। चप्पलों का ढेर, घायलों की लाइन, लोगों का हुजूम... मिसिर जी ने मेहरारू को 'कल तक' चैनल दिखाया। वहां का अल्टरा-मॉड एंकर चीख-चीख कर इस कांड के लिए मध्य परदेश सरकार को कोस रहा था। ऊ वहां के एसपी से पूछ रहा था कि बाबा पर आईपीसी का कौन-कौन धारा लग सकता है कि ऊ जेल में सड़ जाए। एंकर की बात सुन मिसिर जी का मन भन्ना गया, 'सबसे पहले तो तुम्ही पर आईपीसी की सब धारा लगा दी जानी चाहिए कि चैनल बंद हो जाए। पांच दिन पहले तुम्ही तो अपने चैनल पर सरौते वाले बाबा का गुणगान कर रहे थे, अब घडियाल जैसे रो क्यों रहे हो?' मिसिर जी का तो मन कर रहा था कि टीवी से खींच कर झुठ्ठे एंकर को पटक दे, लेकिन हकीकत में ऐसा ऊ ऐसा कर नहीं सकते थे, सो मन मसोस कर रह गए। एंकर से फारिग हो मिसिर जी ने मेहरारू की खबर ली, 'देख लीजिए नजारा... पूरी दुनिया के हस्पताल के डाकडर मर गए, जो आप इलाज के लिए इस बाबा से अपनी आंख में सरौता डलवाना चाहती थीं। हम तो पहले ही कह रहे थे न कि ई चैनल वाले लोगों को बरगलाते हैं... बाबाओं