बेगानी शादी में...
दुपहरिया तक गली में पूरा रोड घेरकर टेंट-शामियाना टंग गया था। आखिर माजरा का है, खिड़की से हमने नीचे देखा। ऐन नाक के नीचे घर के गेट पर टेंट-शामियाना देख हमरी बांछें खिल गईं-- आज तो दावत उड़ाने का मौका मिलबे करेगा। आंखों ने देखा, उन्हें बड़ी तृप्ति मिली, लेकिन जीभ को मजा नहीं आया- - का पता दिल्ली है, पड़ोसी भोज में बुलैबे न करे। दिमाग ने खबर पेट को भी पहुंचाई। वहां जठराग्नि ऐसी जली कि कई हजार चूहे एक साथ बगावत पर उतर आए! अभी मुंह में पानी भरना शुरुए हुआ था कि दरवाजे पर दस्तक हुई। एक थका-हारा इंसान गेट पर खड़ा था, परिचय से पता चला पड़ोसी महाराज हैं। निमंत्रण देने आए होंगे, ई सोचकर हमने कुछ बेसिए आवेश में उनको बिठाया। ऊ मुद्दे पर आए, 'हमरे यहां शादी है, पानी चाहिए। हमरा घर दूर है, आपके नल से कनेक्शन ले लूं।' मन ने कहा, 'निमंत्रण तो दिए नहीं, मुंह उठाए पानी मांगने आ गए। पार्टी नहीं, तो पानी कैसन? मुफ्त में दिन भर मोटर चलाकर अपना पानी औरो बिजली बिल हम काहे बढ़ाएं?' फिर खयाल आया कि पानी लेंगे, तो निमंत्रण देबै करेंगे, लेकिन मन ने कहा, 'ऐसन इरादा होता तो कार्ड के संग आते।