एक अदद पाकेटमार नेता चाहिए!
अपने देश में हर तरह के अपराध को अंजाम देने वाला नेता सब है, बस पाकेटमारों औरो सेंधमारों में से ही ऐसन प्रतिभा नहीं निकल पाया है, जो लोकसभा या विधानसभा की 'गरिमा' बढ़ा सके। ऐसन में अपने देश में समाजवाद खतरे में पड़ गया है। इसका अंदाजा हमको उस दिन हुआ, जब अखिल भारतीय जेबकतरा-सेंधमार महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव से हमरी अचानक मुलाकात हो गई। ऊ बेचारा अपने देश के नेतवन सब से बहुते निराश है। कारण ई कि नेता सब सब तरह के कुकर्म कर रहा है, लेकिन पाकेटमारी औरो सेंधमारी की फील्ड में खुलकर अभियो सामने नहीं आ रहा।
पता नहीं आप उसकी निराशा को केतना जायज मानेंगे, लेकिन हमको उससे गहरी सहानुभूति है। उन लोगों के साथ सहिए में अन्याय हुआ है। अब का है कि नेतवन सब ने हत्या, अपहरण, घूसखोरी, घपले-घोटाले जैसन तमाम अपराध को गलैमराइज कर दिया है, तो गांजा-अफीम से लेकर आदमी तक की तस्करी को इज्जत बख्स दी है... का चाकूबाजी औरो का कबूतरबाजी, सब में नेता सब नाम कमा रहे हैं औरो दाम भी, लेकिन अब तक कोयो नेता पाकेटमारी या सेंधमारी करते नहीं पकड़ाया। अब इससे बड़का अन्याय का होगा?
उस राष्ट्रीय महासचिव जी का इहो मानना कि जिस देश में नेहरू से लेकर अमर सिंह तक समाजवाद के नाम पर नेतागिरी कर चुके हों, उस देश के तो कण-कण में समाजवाद होना चाहिए। लेकिन अपना देश है कि घूस औरो घोटाला में तो नेता सब समाजवाद अपनाते हैं, मिल-बांटकर खाते हैं, चपरासी तक को हिस्सा देते हैं, लेकिन पाकेटमारी-सेंधमारी जैसन दलित-दमित अपराध में समाजवाद नहीं चलाते। चोर-डकैत, हत्यारा, बलात्कारी, घुसखोर, अपहरणकर्ता... सब के सब नेता बनकर लोकसभा-विधानसभा पहुंच गए, लेकिन आज तक कौनो सेंधमार या पाकेटमार एमएलए-एमपी नहीं बन पाया। संसद औरो विधानसभा में अपना कौनो नुमाइंदा नहीं होने के कारण ही इन दोनों धंधे की हालत एतना खराब है।
जहां तमाम तरह के अपराध आज गलैमराइज हो गए हैं, वहीं 'अपराधी समाज' का ई 'दलित वर्ग' आज तक छुप-छुपकर चोरी करने औरो पकड़ाने के बाद सरेआम पब्लिक औरो पुलिस से लात-जूता खाने को अभिशप्त है! हमको तो अखिल भारतीय पाकेटमार-सेंधमार संघ के उस नेता के इस बात पर पूरा यकीन है कि आज उसकी बिरादरी का अगर एको ठो नेता लोकसभा या विधानसभा में पहुंच गया होता, तो इस बिरादरी की सामाजिक व राजनीतिक 'हैसियत' इतनी गई-गुजरी नहीं होती! दुनिया के सबसे पुराने धंधों में से होने के बावजूद सेंधमारों-पाकेटमारों को अभियो कोयो नहीं पूछता, जबकि कबूतरबाजी जैसन माडर्न युगीन धंधे में बड़े-बड़े 'राष्ट्रवादी' नेता शामिल हो जाते हैं और धंधे की इज्जत बढ़ा देते हैं।
वैसे, एतना सबके बावजूद हमको लगता है कि उस महासचिव महोदय का ई आरोप पूरी तरह सही नहीं है कि नेतवन सब उनके धंधे के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार कर रहे हैं। हमरे खयाल से तो नेता सब जन्मजात पाकेटमार होते हैं औरो सेंधमार भी। गौर से देखिए तो जनता को मिलने वाले सरकारी पैसों का घपला-घोटाला इनडाइरेक्ट रूप से पाकेटमारी ही तो है। औरो ऊ भी ऐसन पाकेटमारी कि जनता के जेब में पैसा पहुंचने से पहिले गायब हो जाता है... जैसन नेता नहीं, मिस्टर इंडिया हो गया। औरो सेंधमारी... भैय्या, इस मामले में तो नेता सब से शातिर कोयो हो ही नहीं सकता। चारा घोटाला से लेकर सांसद निधि घोटाला औरो तेल घोटाला से लेकर ताबूत घोटाला तक, नेता सब ने कब सारा पैसा खाकर पचा डाला, किसी को पतो नहीं चला!
... तो सेंधमार-पाकेटमार भाइयों, आप निराशा छोड़िए औरो खुश होइए कि एतना बड़का-बड़का नेता आपकी बिरादरी में शामिल है। हां, आप इसके लिए आंदोलन जरूर कीजिए कि जो हो, खुलेआम हो, कंबल ओढ़कर घी न पिया जाए! वैसे, आप लड़ाई इसके लिए भी लड़ सकते हैं कि लोकसभा-विधानसभा चुनावों में सभी पार्टी कुछ परतिशत सीट सेंधमार-पाकेटमार भाइयों के लिए भी आरक्षित करें। आखिर लोकतंत्र में हर वर्ग का परतिनिधित्व तो होना ही चाहिए!
पता नहीं आप उसकी निराशा को केतना जायज मानेंगे, लेकिन हमको उससे गहरी सहानुभूति है। उन लोगों के साथ सहिए में अन्याय हुआ है। अब का है कि नेतवन सब ने हत्या, अपहरण, घूसखोरी, घपले-घोटाले जैसन तमाम अपराध को गलैमराइज कर दिया है, तो गांजा-अफीम से लेकर आदमी तक की तस्करी को इज्जत बख्स दी है... का चाकूबाजी औरो का कबूतरबाजी, सब में नेता सब नाम कमा रहे हैं औरो दाम भी, लेकिन अब तक कोयो नेता पाकेटमारी या सेंधमारी करते नहीं पकड़ाया। अब इससे बड़का अन्याय का होगा?
उस राष्ट्रीय महासचिव जी का इहो मानना कि जिस देश में नेहरू से लेकर अमर सिंह तक समाजवाद के नाम पर नेतागिरी कर चुके हों, उस देश के तो कण-कण में समाजवाद होना चाहिए। लेकिन अपना देश है कि घूस औरो घोटाला में तो नेता सब समाजवाद अपनाते हैं, मिल-बांटकर खाते हैं, चपरासी तक को हिस्सा देते हैं, लेकिन पाकेटमारी-सेंधमारी जैसन दलित-दमित अपराध में समाजवाद नहीं चलाते। चोर-डकैत, हत्यारा, बलात्कारी, घुसखोर, अपहरणकर्ता... सब के सब नेता बनकर लोकसभा-विधानसभा पहुंच गए, लेकिन आज तक कौनो सेंधमार या पाकेटमार एमएलए-एमपी नहीं बन पाया। संसद औरो विधानसभा में अपना कौनो नुमाइंदा नहीं होने के कारण ही इन दोनों धंधे की हालत एतना खराब है।
जहां तमाम तरह के अपराध आज गलैमराइज हो गए हैं, वहीं 'अपराधी समाज' का ई 'दलित वर्ग' आज तक छुप-छुपकर चोरी करने औरो पकड़ाने के बाद सरेआम पब्लिक औरो पुलिस से लात-जूता खाने को अभिशप्त है! हमको तो अखिल भारतीय पाकेटमार-सेंधमार संघ के उस नेता के इस बात पर पूरा यकीन है कि आज उसकी बिरादरी का अगर एको ठो नेता लोकसभा या विधानसभा में पहुंच गया होता, तो इस बिरादरी की सामाजिक व राजनीतिक 'हैसियत' इतनी गई-गुजरी नहीं होती! दुनिया के सबसे पुराने धंधों में से होने के बावजूद सेंधमारों-पाकेटमारों को अभियो कोयो नहीं पूछता, जबकि कबूतरबाजी जैसन माडर्न युगीन धंधे में बड़े-बड़े 'राष्ट्रवादी' नेता शामिल हो जाते हैं और धंधे की इज्जत बढ़ा देते हैं।
वैसे, एतना सबके बावजूद हमको लगता है कि उस महासचिव महोदय का ई आरोप पूरी तरह सही नहीं है कि नेतवन सब उनके धंधे के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार कर रहे हैं। हमरे खयाल से तो नेता सब जन्मजात पाकेटमार होते हैं औरो सेंधमार भी। गौर से देखिए तो जनता को मिलने वाले सरकारी पैसों का घपला-घोटाला इनडाइरेक्ट रूप से पाकेटमारी ही तो है। औरो ऊ भी ऐसन पाकेटमारी कि जनता के जेब में पैसा पहुंचने से पहिले गायब हो जाता है... जैसन नेता नहीं, मिस्टर इंडिया हो गया। औरो सेंधमारी... भैय्या, इस मामले में तो नेता सब से शातिर कोयो हो ही नहीं सकता। चारा घोटाला से लेकर सांसद निधि घोटाला औरो तेल घोटाला से लेकर ताबूत घोटाला तक, नेता सब ने कब सारा पैसा खाकर पचा डाला, किसी को पतो नहीं चला!
... तो सेंधमार-पाकेटमार भाइयों, आप निराशा छोड़िए औरो खुश होइए कि एतना बड़का-बड़का नेता आपकी बिरादरी में शामिल है। हां, आप इसके लिए आंदोलन जरूर कीजिए कि जो हो, खुलेआम हो, कंबल ओढ़कर घी न पिया जाए! वैसे, आप लड़ाई इसके लिए भी लड़ सकते हैं कि लोकसभा-विधानसभा चुनावों में सभी पार्टी कुछ परतिशत सीट सेंधमार-पाकेटमार भाइयों के लिए भी आरक्षित करें। आखिर लोकतंत्र में हर वर्ग का परतिनिधित्व तो होना ही चाहिए!
टिप्पणियाँ
--अगले सत्र में देखते हैं. लाते हैं यह विधेयक भी :)
बहुत बढ़िया।