किरकेटिया कप की अज़ब कहानी
देश की किरकेटिया टीम ने 20-20 वाला विश्वकप का जीता, पूरे देश उसके पीछे पगलाए पड़ा है। राज्य सरकारें खिलाड़ियों को ईनाम ऐसे बांट रही है, जैसे खिलाड़ियों ने विश्व का सब देश जीत के उनकी चरणों में रख दिया हो। खैर, जाने दीजिए, ई सब तो आप लोग भी जानते होंगे। यहां तो हम आपको कुछ ऐसन बात बताना चाहता हूं, जो आप जानबे नहीं करते होंगे।
जैसे कि आप ई नहीं जानते होंगे कि 20-20 विश्व कप खेलने जाने से पहिले अपने किरकेटिया खिलाडि़यों ने अपने परिवारों को कुछ महीने के लिए शहर छोड़कर जाने के लिए कह दिया था, ताकि अगर ऊ बांग्लादेश की टीम से हारकर विश्व कप से बाहर हो जाए, तो देश में गुस्साई भीड़ उनके मां-बाप का टांग न तोड़ सके। पिछले विश्व कप में हार के बाद रांची के लोगों ने धोनी के घर का दीवारे ढहा दिया था, डर के मारे इस बार उसके भाई ने साधु जैसन दाढ़ी बढ़ा लिया, ताकि कोयो पहचान नहीं पाए। जब भारत विश्व कप जीत गया, बेचारे ने तभिये जाकर बेचारे ने दाढ़ी बनाई।
आप इहो नहीं जानते होंगे कि दिल्ली के उस थाने का कमरा अभियो खालिए है, जिसको सहवाग ने साउथ अफरीका जाने से पहिले अपने लिए बुक कराया था। का कहे, थाना बुक! अरे भैय्या, पिछले विश्व कप में हारने के बाद दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे सहवाग को अगर पुलिस अपने साथ सीधे थाने नहीं ले जाती, तो आज आपको बेचारे की चांद पर बचा-खुचा केश भी देखने को नहीं मिलता! ऊ तो कहिए कि देश जीत गया औरो सहवाग को थाने जाने की नौबत हीं नहीं आई।
सबसे बुरी स्थिति तो जोगिंदर शर्मा के पिता की रही। धोनी ने अंतिम ओवर उनके बेटे को गेंद सौंपकर उनको फंसाइए दिया था। जैसने जोगिंदर की गेंद पर मिस्बा उल हक ने छक्का मारा, बेचारे जोगिंदर के पिताजी ने अपना पान दुकान बंद कर फुट लेना ही बेहतर समझा। एतना रिस्की खेल खेलने के लिए बेटे को गरियाते हुए अभी ऊ गली से छुप- छुपकर भागिये रहे थे कि श्रीशंत ने मिस्बा का कैच पकड़ लिया औरो जोगिंदर के बापू बरबाद होते-होते बच गए।
खैर, ई तो कहानी रही बरबाद होने से बच जाने वालों की, अब आप सुनिए कहानी बरबाद होने वालों की। विश्व कप जीतकर कमबखत धोनी की टीम ने जिंदा हो रहे हॉकी को फिर से आईसीयू में भरती करा दिया। बस ई समझ लीजिए कि ओंठ तक आते-आते जाम छलक गया। 'चक दे इंडिया' देखकर कल तक जो बचवा लोग हॉकी खेलने लगे थे, अब तक 'कपूत' धोनी को 'सपूत' बनता देख ऊ फिर से किरकेट खेलने लगे हैं। हॉकी स्टिक अब उनका बैट बन गया है औरो ऊ दनादन किरकेट खेल रहे हैं।
बरबाद तो बेचारे चैनल वालों की मेहनत भी हुई। अब का है कि बेचारों ने मान लिया था कि भारत कभियो जीतिए नहीं सकता, इसलिए पतरकारों ने टीम को गरियाने के लिए चुन-चुनकर गालियों को स्क्रिप्ट में पिरोया था, लेकिन कमबखत टीम ने कप जीतकर उनकी मेहनत को पूरे मिट्टी में मिलाय दिया।
वैसे पिलानिंग तो हमरी भी भारतीय टीम को गरियाने की ही थी, लेकिन उसकी जीत ने सब गड़बड़ कर दी. लेकिन भडास निकालने के लिए कुछो तो लिखना ही था सो ई लिख मारा. अब आप इसको झेलिये औरों निंदा पुराण मे महारथी सच्चे भार्तिये होने का सबूत दीजिये.
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