ठेके पर पूरी दुनिया
जब हम स्कूल का सबक सही से नहीं निबटाते थे, तो हमरे गुरुजी कहते थे कि बचवा अपना काम ठेके पर निबटा के आया है। आज जब हम दुनिया के ई हालत देख रहा हूं, तो हमरे समझ में आने लगा है कि ठेका से उनका मतलब का होता था! आप कहेंगे कि ई हम अचानके 'ठेका राग' काहे अलापने लगा हूं? तो बात ई है कि ठेका की दो ठो बड़की खबर हमरी नींद उड़ा रही है- पहली खबर है कि दिल्ली में डिमॉलिशन ठेका पर होगा औरो दूसरी खबर है कि अब बिहार में गुरु जी ठेके पर नियुक्त होंगे। यानी एक जगह लोगों का घर-द्वार ठेके के भरोसे है, तो दूसरी जगह देश का भविष्य। लेकिन ठेके का जो परिणाम दुनिया भर में हम देख रहा हूं, उससे तो हमरी हालत खराब हो रही है। दुनिया के अमन-चैन की स्वघोषित ठेकेदारी अमेरिका के पास है। परिणाम देखिए कि पूरा विश्व अशांत है। हालत ई है कि कोतवाली करते-करते कोतवाल सनकी हो गया है। कहियो यहां बम फोड़ने की पलानिंग करता है, तो कहियो वहां। स्थिति उसकी खराब है औरो परेशान बेचारा एशियाई दिखने वाला लोग हो रहा है। सोचिए, अगर अमन-चैन की ठेकेदारी उसके पास नहीं होती, तो विश्व कितना अमन-चैन से रहता। अमन-चैन से तो बीजेपी के नेता भी...