दाग अच्छे हैं
राष्ट्रपति का चुनाव का खतम हुआ, समझ लीजिए कि हमरे नेताओं के माथा पर से एक ठो बड़का भार उतर गया। जब से कलाम जी राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे, तब से पता नहीं कहां से एतना खतरनाक शब्द सब हवा में तैरने लगा था कि हमरे नेता सब की हालत खराब रहने लगी थी। अब आप ही बताइए न शुचिता, ईमानदारी, पवित्रता, विद्वता ... औरो न जाने केतना कुछ ... एतना भारी भरकम शब्द सब कलाम से जुड़ल था कि राष्ट्रपति भवन में समाइए नहीं पाता था। परिणाम ई हो गया कि देश का बाकी नेता सब इंफीरियरिटी काम्प्लेक्स से ग्रस्त हो गया था औरो मानसिक तौर पर बीमार रहने लगा था। अब आप समझ गए होंगे कि तीसरे मोर्चे के रिकवेस्ट पर जब कलाम जी दूसरे कार्यकाल के लिए तैयार हो गए थे, तो वामपंथी सब उनको गरियाने काहे लगे थे! कलाम को गरियाना वामपंथियों व पवार की बीमार मानसिकता की उपज थी औरो ई बीमार मानसिकता कलाम ने ही इन नेताओं को इंफीरियरिटी काम्प्लेक्स के रूप में दी थी। सीधी बात है, न कलाम जी एतना सुपर आदमी होते, न नेताओं को मिरची लगती। हां, तो हम ई कह रहे थे कि कलाम के जाने से बहुतों का दिमाग हल्का हो गया है। अब का है कि काजल के कोठरी में वही एक ठो बगु...