बेड रूम में कानूनी डंडा
उस दिन सबेरे-सबेरे जब हमरी नींद टूटी या कहिए कि जबरदस्ती तोड़ दी गई, तो सामने दू ठो धरती पर के यमराज... माफ कीजिएगा लाठी वाले सिपाही सामने में खड़े थे। जब तक हम कुछ कहते, उन्होंने घरेलू हिंसा के जुरम में हमको गिरफतार कर लिया। उनका कहना था कि हमने रात में पास के विडियो पारलर से एडल्ट फिलिम का सीडी लाया है औरो जरूर हमने उसे अपनी धरम पत्नी को दिखाया होगा, जो नया घरेलू हिंसा कानून के तहत जुरम है।
अपनी गरदन फंसी देख हमने मेमयाते हुए सफाई दी, 'लेकिन भाई साहेब ऊ सीडिया तो हम अभी तक देखबो नहीं किए हैं, तो धरम पत्नी को कहां से देखाऊंगा? वैसे भी जिस काम के लिए एडल्ट सीडी लाने की बात आप कर रहे हैं, ऊ तो टीवी मुफ्त में कर देता है... बस टीवी पर आ रहे महेश भट्ट की फिलिम का कौनो गाना देख लीजिए, वात्स्यायन का पूरा कामशास्त्र आपकी समझ में आ जाएगा! इसके लिए अलग से पैसा खर्च करने की का जरूरत है? वैसे भी अगर ऐसन कानून लागू होने लगा, तो लोग अपनी बीवी के साथ कौनो हिंदी फिलिम नहीं देख सकता, काहे कि सब में अश्लीलता भरल रहती है।'
हमरी इस अनुपम 'सुपर सेवर' जानकारी पर पहिले तो सिपाही महोदय हैरान हुए, लेकिन फिर ताव खा गए, 'हमीं को सिखाते हो? ये हैं समाज सेविका शारदा जी, इन्होंने तुम्हारे घर से कल झगड़े की आवाज सुनी थी औरो रात में तुमने सीडी भी लाया, यानी इनका ई शक पक्का हो गया है कि तुम अपनी बीवी पर जुलम करते हो। पुलिस चोरी होता देख कान में तेल डाल कर सो सकती है, लेकिन नारी पर अन्याय ... ना... बरदाश्त नहीं होता। सीधे थाने चलो, अब ई फैसला कोर्ट में होगा कि तुम केतना दूध के धुले हो। वैसे, कोर्ट में तुमको पैरवी के लिए वकील की जरूरत पड़ेगी, सो ई वर्मा साहेब को हम साथ लेता आया हूं। ई सस्ते में तुम्हरी पैरवी कर देंगे... इसको जेतना देगो, ईमान से उसका बीस परसेंट हमको दे देना। इन पर हमको विशवास नहीं है, इसलिए कमिशन हम तुम्ही से लूंगा।'
अब हमरी हालत खराब। हाय भगवान! ई कैसन जुलम है? स्टोव फटने और दहेज प्रताड़ना को रोकने के दूसरे कानून कम थे कि 'गिद्धों' से नुचवाने के लिए एक ठो औरो नया कानून ले आए! हमरे समझ में इहो नहीं आ रहा कि पहले से जो कानून हैं, ऊ तो लागू हो नहीं रहा, फिर 'दलालों' की जेब गरम करवाने वाला एक ठो औरो कानून की जरूरत का थी? अब तो जेतना पैसा सिपाही कमाएगा, उससे चौगुना वकील वसूलेगा औरो निरदोष होने पर भी भले मानस की समाज में नाक कटेगी सो अलग! बेचारा पतियों को कम से कम एतना समय तो दीजिए कि ऊ अपनी सफाई पेश कर सकें। आखिर भारतीय पतियों औरो सद्दाम हुसैन में एतना तो फरक किया ही जाना चाहिए।
तो का अब मियां-बीवी के बेड रूम में सरकारी चौकीदार ड्यूटी करेगा? हम ई सोच ही रहे थे कि मोबाइल बज उठा। शीतल बाबू दूसरी तरफ से लानत भेज रहे थे- ई आपने का कर दिया? चैनलों पर आप ही की खबर चल रही है। हमने टीवी आन किया- सबसे तेज, सबसे स्लो, सबसे सच्चा, सबसे झूठा, सबके जैसा, सबसे अलग जैसन तमाम चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज में हम ही थे। किसी चैनल पर एंकर चीख रहा था-- इस अत्याचारी पति के घर की खिड़की सबसे पहले हमने आपको दिखाई, दूसरे चैनल पर रिपोर्टर बता रहा था--इस राक्षस पति के घर का दरवाजा सबसे पहले हमने आपको दिखाई। बीच-बीच में विज्ञापन चल रहे थे--आप भी अपने पति से परेशान हैं, तो खट्टर वकील से मिलें... पारिवारिक कलह है, तो बाबा कालू तांतरिक से मिले, शर्तिया फायदा, नहीं तो पैसा वापस...। एक चैनल पर तीन बार तलाक लेकर चौथी शादी करने वाली एक 'विरांगना' एक्सपर्ट के रूप में मौजूद थी औरो अपने चौथे पति की प्रशंसा कर रही थी।
आखिरकार, पुलिस ने हमें गाड़ी में घसीट ही लिया। दूर कहीं शारदा जी की शिष्या सब नारा लगा रही थी, 'फूल नहीं, चिंगारी हैं, हम भारत की...' औरो वकील साहेब हमें सांत्वना दे रहे थे-- बस एक बरिस जेल औरो २५ हजार जुरमाने न देना है, ई तो सोचो, इसी बहाने बीवी से छुटकारा मिल जाएगा।
अपनी गरदन फंसी देख हमने मेमयाते हुए सफाई दी, 'लेकिन भाई साहेब ऊ सीडिया तो हम अभी तक देखबो नहीं किए हैं, तो धरम पत्नी को कहां से देखाऊंगा? वैसे भी जिस काम के लिए एडल्ट सीडी लाने की बात आप कर रहे हैं, ऊ तो टीवी मुफ्त में कर देता है... बस टीवी पर आ रहे महेश भट्ट की फिलिम का कौनो गाना देख लीजिए, वात्स्यायन का पूरा कामशास्त्र आपकी समझ में आ जाएगा! इसके लिए अलग से पैसा खर्च करने की का जरूरत है? वैसे भी अगर ऐसन कानून लागू होने लगा, तो लोग अपनी बीवी के साथ कौनो हिंदी फिलिम नहीं देख सकता, काहे कि सब में अश्लीलता भरल रहती है।'
हमरी इस अनुपम 'सुपर सेवर' जानकारी पर पहिले तो सिपाही महोदय हैरान हुए, लेकिन फिर ताव खा गए, 'हमीं को सिखाते हो? ये हैं समाज सेविका शारदा जी, इन्होंने तुम्हारे घर से कल झगड़े की आवाज सुनी थी औरो रात में तुमने सीडी भी लाया, यानी इनका ई शक पक्का हो गया है कि तुम अपनी बीवी पर जुलम करते हो। पुलिस चोरी होता देख कान में तेल डाल कर सो सकती है, लेकिन नारी पर अन्याय ... ना... बरदाश्त नहीं होता। सीधे थाने चलो, अब ई फैसला कोर्ट में होगा कि तुम केतना दूध के धुले हो। वैसे, कोर्ट में तुमको पैरवी के लिए वकील की जरूरत पड़ेगी, सो ई वर्मा साहेब को हम साथ लेता आया हूं। ई सस्ते में तुम्हरी पैरवी कर देंगे... इसको जेतना देगो, ईमान से उसका बीस परसेंट हमको दे देना। इन पर हमको विशवास नहीं है, इसलिए कमिशन हम तुम्ही से लूंगा।'
अब हमरी हालत खराब। हाय भगवान! ई कैसन जुलम है? स्टोव फटने और दहेज प्रताड़ना को रोकने के दूसरे कानून कम थे कि 'गिद्धों' से नुचवाने के लिए एक ठो औरो नया कानून ले आए! हमरे समझ में इहो नहीं आ रहा कि पहले से जो कानून हैं, ऊ तो लागू हो नहीं रहा, फिर 'दलालों' की जेब गरम करवाने वाला एक ठो औरो कानून की जरूरत का थी? अब तो जेतना पैसा सिपाही कमाएगा, उससे चौगुना वकील वसूलेगा औरो निरदोष होने पर भी भले मानस की समाज में नाक कटेगी सो अलग! बेचारा पतियों को कम से कम एतना समय तो दीजिए कि ऊ अपनी सफाई पेश कर सकें। आखिर भारतीय पतियों औरो सद्दाम हुसैन में एतना तो फरक किया ही जाना चाहिए।
तो का अब मियां-बीवी के बेड रूम में सरकारी चौकीदार ड्यूटी करेगा? हम ई सोच ही रहे थे कि मोबाइल बज उठा। शीतल बाबू दूसरी तरफ से लानत भेज रहे थे- ई आपने का कर दिया? चैनलों पर आप ही की खबर चल रही है। हमने टीवी आन किया- सबसे तेज, सबसे स्लो, सबसे सच्चा, सबसे झूठा, सबके जैसा, सबसे अलग जैसन तमाम चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज में हम ही थे। किसी चैनल पर एंकर चीख रहा था-- इस अत्याचारी पति के घर की खिड़की सबसे पहले हमने आपको दिखाई, दूसरे चैनल पर रिपोर्टर बता रहा था--इस राक्षस पति के घर का दरवाजा सबसे पहले हमने आपको दिखाई। बीच-बीच में विज्ञापन चल रहे थे--आप भी अपने पति से परेशान हैं, तो खट्टर वकील से मिलें... पारिवारिक कलह है, तो बाबा कालू तांतरिक से मिले, शर्तिया फायदा, नहीं तो पैसा वापस...। एक चैनल पर तीन बार तलाक लेकर चौथी शादी करने वाली एक 'विरांगना' एक्सपर्ट के रूप में मौजूद थी औरो अपने चौथे पति की प्रशंसा कर रही थी।
आखिरकार, पुलिस ने हमें गाड़ी में घसीट ही लिया। दूर कहीं शारदा जी की शिष्या सब नारा लगा रही थी, 'फूल नहीं, चिंगारी हैं, हम भारत की...' औरो वकील साहेब हमें सांत्वना दे रहे थे-- बस एक बरिस जेल औरो २५ हजार जुरमाने न देना है, ई तो सोचो, इसी बहाने बीवी से छुटकारा मिल जाएगा।
टिप्पणियाँ
बहुत सुंदर व्यंग्य है।
जेल से कब छुटे?
ऊ संजय भाई कुछ पूछ रहत रहे हैं, जेल से कब छूटे?
ठेकुआ, लिट्टी, और सत्तू की कसम बहुत उम्दा (बढ़िया) व्यंग्य लिखा है आपने ।
बधाई !!
रीतेश गुप्ता
केते फूल रखिन थाली में,कितनौ है
परसाद चढ़ाओ
कारी कमरी में लपेट जो सीडी अभुं छुपा रखे हौ
जब्त है गई के बाकी है अब तौ न ई राज छुपाओ
ये बात बहुत बढ़िया बताई. मैं भी आपसे सीधे जेल में ही मिलता हूँ धन्यवाद देने के लिए...:)
लोकभाषा की रस-गंध में रचे-बसे आपके व्यंग्य लेखन का प्रशंसक हूं . विभिन्न तरह की अर्थछवियों से भरे-पूरे सार्थक व्यंग्य की व्यंजना जितनी मारक और प्रभावी हमारी लोकभाषाओं और बोलियों में होती है उतनी मानक भाषा में नहीं . शायद ऐसा इसलिए है कि बहुसंख्यक जनता के बीच अविरल बहते 'भासा नीर' की बात ही और है .
भइया झाजी... ई ख्याली मेहरारू के वजह से एतना झेलना पड़ा तो बुझ लीजिए... असली आ जायेगी तो का हाल होगा?
मित्र है लिहाजा आपके लिए दुआ तो करेंगे ही.
प्रियरंजन, यार मज़ा आ गया.