नेताओं के लिए स्पेशल जेल!

उस दिन तिहाड़ जेल के एक ठो जेलर मिल गए। बहुते परेशान थे। कहने लगे, 'यार, जिस तेजी से नेता लोग जेल भेजे जा रहे हैं, उससे तो हमरी हालत खस्ता होने वाली है। हमरे जैसन संतरी के लिए इससे बुरी स्थिति का होगी कि जिस मंतरी को आप हत्यारा मान रहे हैं, उसको भी सलाम बजा रहे हैं। अपराध करके जेल ऊ आते हैं औरो सजा एक तरह से हमको मिलती है। टन भर वजनी पप्पू जी का नखरा झेलते-झेलते हमरी हालत ऐसने खराब हो रही है, ऊपर से एक ठो 'गुरुजी' औरो आ गए। हमरी हालत तो उस 'सिद्धूइज्म' के डर से भी खराब हो रही है, जो चौबीसो घंटा चलता रहता है। अगर सरदार जी यहां आ गए, तो कौन झेल पाएगा उनको?'

उस जेलर महोदय की परेशानी देख हमहूं परेशान हो गया हूं, लेकिन हमरी परेशानी कुछ दूसरी है। उनको नेता जैसन वीआईपी कैदियों से परेशानी है, तो हमको देश की चिंता हो रही है। का है कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के विधायकों के लिए जेल दूसरा घर बन चुका है, तो कम से कम सौ ऐसन सांसद हैं, जो सरकार की जरा-सी ईमानदारी से कभियो जेल जा सकते हैं। अब देखिए न, अपने पप्पू औरो शहाबुद्दीन जी पहिले से जेल में हैं, तो 'स्वनामधन्य' साधु जी बाढ़ का पैसा पीकर जेल की शोभा बढ़ा रहे हैं। इन सब का साथ देने के लिए अब शिबू गुरुजी भी वहां पहुंच चुके हैं। कोर्ट ऐसने तेजी से चाबुक चलाती रही, तो आश्चर्य नहीं कि आधा संसद जेल में होगा। अब जिस देश के राष्ट्रीय प्रतिनिधि की आधी संख्या जेल में होगी, उस देश के भविष्य की बस कल्पना ही की जा सकती है!

सो हम भी लगे कल्पना करने। कल्पना में हमें देश के महान स्वरूप का दर्शन हुआ। देश के महान जनता के दर्शन हुए। यह भी पता चला कि अपना देश एतना महान बन चुका है कि बिना एमपी-एमएलए के भी चल सकता है। अब ऐसन देश आपको कहां मिलेगा, जहां का सौ सांसद लोगों को डराने-धमकाने से लेकर हत्या कराने तक का आरोपी हो, फिर भी ऊ जनता का प्रतिनिधि हो। ऐसन जनता भी आपको कहीं नहीं मिलेगी, जो कोर्ट द्वारा हत्या का आरोपी ठहरा दिए गए नेता पर सड़े अंडे औरो टमाटर फेंकने के बजाय, उसके समर्थन में रांची से दिल्ली तक परदरशन करे। यह तो महान जनता की दरियादिली ही है कि जेल में रहने वाले नेता वर्षों अपने निर्वाचन क्षेत्र में नहीं जाते, फिर भी चुनाव जीत जाते हैं। तिहाड़ में बंद 'टन भर वजनी नेता' का तो इस मामले में गिनीज बुक रिकार्ड में नाम दर्ज हो सकता है। तो इसका मतलब यह हुआ कि बिना एमपी- एमएलए के भी देश का काम चल सकता है।

लेकिन मान लीजिए कि सरकार सांसदों को जरूरी मानती ही है, तो फिर ऊ एक ठो व्यवस्था कर सकती है। चूंकि सरकार औरो जनता की दरियादिली से दागी सांसदों का बहुमत सब दिन संसद में रहेगा ही, सो काहे नहीं कानून बदल दिया जाए। संसद में ही एक जेल बना दिया जाए। तब हथकड़ियों में बंधे नेता लोग देश के सुनहरे भविष्य पर चरचा करेंगे औरो तिहाड़ जेल के जेलरों को परेशानी भी नहीं होगी। आखिर एक 'राष्ट्रीय गर्व' की इमारत को 'राष्ट्रीय शर्म' की इमारत बनाने का माद्दा हम भारतीयों में तो है ही!

टिप्पणियाँ

"ऐसन जनता भी आपको कहीं नहीं मिलेगी, जो कोर्ट द्वारा हत्या का आरोपी ठहरा दिए गए नेता पर सड़े अंडे औरो टमाटर फेंकने के बजाय, उसके समर्थन में रांची से दिल्ली तक परदरशन करे।"

बहुत बढ़िया लिखा है - हमेशा की तरह!
बेनामी ने कहा…
प्रिय रंजन जी, जो भी हो, पर हाल फिलहाल का जो फैसला सब आया है उ हमरा ईगो को अच्छा लगा। जिसका जहाँ जगह है, वहाँ धीरे धीरे चहुँप रहा है। मलाई और सत्तु खाने वाला सिद्धदोषी लोग में फर्क कैसा। अब झारखण्ड में कोई सिद्धदोषी को लेके बन्द हो या पटियाला में, हमरे ईगो को कोई फर्क नहीं पड़ता, हम तो खुस है।
अच्छा लिखे हैं आप।
बेनामी ने कहा…
चाहे कोई कितना भिगो भिगो कर-- मारे पर हम नहीं सुधरेंगें। मेरा भारत महान।

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