ये दुनिया ऊटपटांगा
किस्से-कहानियों में जिन लोगों ने शेखचिल्ली का नाम सुना है, वे अच्छी तरह जानते हैं कि यह एक ऐसा कैरेक्टर है, जिसकी दुनिया पूरी तरह ऊटपटांग है। किस्से-कहानियों को छोडि़ए जनाब, अब तो वास्तविक जिंदगी में भी ऐसी तमाम बातें होती रहती हैं, जो शेखचिल्ली और उसकी ऊटपटांग दुनिया की याद दिला जाती हैं। नए साल के आने की खुशी में क्यूं न साल की कुछ ऐसी 'ऊटपटांग' घटनाओं को याद कर लिया जाए, जो अजीब होने के साथ-साथ हमारे मन को गुदगुदा भी गईं:
हिमेश रेशमिया: कंठ नहीं, नाक पर नाज
किसी का सुर मन मोह ले, तो कहते हैं कि उसके गले में सरस्वती का वास है, लेकिन हिमेश के मामले में आप ऐसा नहीं कह सकते। तो क्या हिमेश की नाक में सरस्वती का वास है? लगता तो कुछ ऐसा ही है। संगीतकार से गायक बने हिमेश की नाक ने ऐसा सुरीला गाया कि इतिहास लिख दिया। इस साल उनके तीन दर्जन गाने सुपर हिट हुए, जो ऐतिहासिक है। हालत यह रही कि रफी-लता को सुनकर बड़े हुए पैरंट्स हिमेश को गालियां देते रहे और उनके बच्चे हाई वॉल्यूम पर 'झलक दिखला जा...' पर साल भर थिरकते रहे।
आनंद जिले के भलेज गांव में तो गजब ही हो गया। वहां के ग्रामीणों ने कहा कि हिमेश के गाने 'झलक दिखला जा, एक बार आ जा...' को सुनकर गांव में भूत निकल आया। इस घटना के बाद उस गांव से हिमेश के अलबमों को 'गांवबदर' कर दिया गया। कहीं-कहीं उनके इस गाने को सुनकर सांप भी निकला और खबर बन गया। वैसे, विडंबना यह है कि इस बड़बोले संगीतकार- गायक को आशा भोंसले ने इस साल थप्पड़ भी रसीद करना चाहा।
मटुक की 'जवानी' ने ली अंगड़ाई: बाबा वैलंटाइन की कुर्सी डगमगाई
प्रेम के पथ पर पटना के हिंदी के प्रफेसर मटुक नाथ इस साल कुछ ऐसे दौड़े कि उनके सामने बाबा वैलंटाइन का कद छोटा दिखने लगा। अपनी शिष्या से प्यार तो बहुतों ने किया होगा, लेकिन सब कंबल ओढ़कर ही घी पीते रहे हैं। मटुक नाथ ने जिगर दिखाया और अपनी शिष्या जूली से प्रेम की बात स्वीकार कर सरेआम मुंह पर कालिख पुतवाई, लेकिन हंसते हुए। ऊंची-ऊंची दीवारों सी इस दुनिया की रस्में भी मटुक नाथ को अपनी जूली से मिलन को नहीं रोक पाईं।
भारतीय 'लव गुरु' की इस अदा से निश्चित रूप से स्वर्ग में बैठे सेंट वैलंटाइन को अपनी कुर्सी डगमगाती नजर आई होगी, लेकिन उनके फेवर में अच्छी बात यह रही कि यह घटना इस साल १४ फरवरी के काफी बाद हुई और अगली १४ फरवरी तक मटुकनाथ शायद ही किसी को याद रहे। अगर मटुक नाथ पर यह सब वैलंटाइन डे के पहले बीता होता, तो इस साल लोग 'मटुक नाथ डे' भी देख चुके होते।
कुएं में पहुंचा प्रिंसः आसमान पर पहुंची किस्मत
साठ फीट गहरे कुएं में गिरकर बचता कौन है और बचता भी है, तो कुएं से लाखों कमाता कौन है! लेकिन कुरुक्षेत्र के एक साधन विहीन गांव में पैदा हुए पांच साल के प्रिंस की चमकती तकदीर जैसे उस ६० फीट गहरे ट्यूबवेल में दफन थी, जिसमें वह इस साल जुलाई में गिरा। दो दिन की जद्दोजहद के बाद प्रिंस को कुएं से निकाला गया, तो जैसे उस पर मेहरबानियां बरस पड़ीं। दो दिन पहले तक एक जून रोटी को तरसने वाले प्रिंस के परिवार को सरकार और लोगों से लाखों मिले, तो किसी ने प्रिंस की जिंदगी भर की पढ़ाई के खर्च का जिम्मा लिया। प्रिंस के गड्ढे में गिरने से गांव की बदहाली दुनिया भर में दिखी और सरकार के लिए कलंक बनी, तो राज्य सरकार ने छह महीने के अंदर गांव की काया पलट कर दी। किसने सोचा होगा कि कल तक गांव की गलियों में धूल फांकने वाला बच्चा दो दिन में गांव का भाग्यविधाता बन जाएगा! ऐसा प्रिंस बनने के लिए तो हर कोई गड्ढे में गिरने को तैयार हो जाएगा।
मधु कोड़ा: अकेला घोड़ा
कुछ लोगों की तकदीर लिखते वक्त भगवान अपने कलम की पूरी स्याही खत्म कर डालते हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पर भी भगवान ने ऐसी ही मेहरबानी की। झारखंड के इस मोस्ट वॉन्टेड बैचलर विधायक को इस साल बीवी मिलने से पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल गई। आश्चर्य की बात यह कि मधु निर्दलीय विधायक हैं और मुख्यमंत्री बनने के लिए भी उन्हें किसी पार्टी में शामिल नहीं होना पड़ा। यानी 'निर्दलीय पार्टी' के इस एकमात्र विधायक ने सोनिया, लालू और शिबू सोरेन जैसे घाघ राजनीतिज्ञों को पानी पिला दिया।
विडंबना देखिए कि जिस प्रजातंत्र में 'बहुमत की जय' होती है, उसी प्रजातंत्र में एक विधानसभा क्षेत्र के कुछ हजार वोट से जीता विधायक करोड़ों मतदाताओं के प्रतिनिधियों को अपनी 'उंगली' पर नचा रहा है।
राजस्थान में आई 'सूनामी': बाढ़ में डूबे ऊंट!
राजस्थान बोलते ही जो तस्वीर जेहन में उभरती है, वह है बालू और बबूल का प्रदेश। लेकिन अब ऐसी तस्वीर जेहन में आप बाढ़ को भी शामिल कर लें। जी हां, सदियों से बूंद-बूंद पानी को तरसने वाले राजस्थान ने इस साल बाढ़ का विनाशक मंजर भी देखा। इस प्रदेश के लिए यह बाढ़ किसी सूनामी से कम नहीं रही। सिर्फ बाड़मेर में १०४ लोगों की बाढ़ से मौत हो गई, ४५ हजार मवेशी मर गए, जिनमें काफी संख्या में ऊंट भी थे। दरअसल, इस 'रेगिस्तानी जहाज' ने इतना पानी जिंदगी में नहीं देखा था। १२ जिलों में आई बाढ़ ने ऐसा कहर ढाया कि लोगों को बचाने के लिए सेना को उतरना पड़ा और राजस्थान सरकार को बाढ़ रिलीफ फंड में २१८ करोड़ रुपये डालने पड़े। कौन जाने, इस उलटवांसी के बाद अब चेरापूंजी में सूखे की खबर भी आ जाए!
डेटिंग अलाउंस: इतना बाउंस!
ये पत्नियां भी अजीब होती हैं, पति न कमाए तो परेशानी, ज्यादा कमाए तो परेशानी। अब बेंगलूर की तृप्ति निगम को ही लीजिए, इस साल बेचारी की परेशानी यह रही कि उसका पति ऐसी कंपनी में काम करता है, जहां डेटिंग अलाउंस मिलता है। दरअसल, इस अलाउंस से जब तक वह अपने पति के साथ डेटिंग पर जाती थी, तब तक तो सब ठीक-ठाक था, लेकिन दिक्कत यह हो गई कि ज्यादा पैसा होने के कारण उसका पति दूसरी महिलाओं के साथ भी डेटिंग पर जाने लगा। बस क्या था, तृप्ति पहुंच गईं कोर्ट और कर डाला विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी के खिलाफ केस। उसकी बस एक ही मांग थी, कंपनी कर्मचारी को देने वाले डेटिंग अलाउंस बंद करे। तो क्या अब पत्नियों की शिकायत पर दिलफेंक पतियों की सैलरी भी बंद होगी? बड़ा सवाल है, समय का इंतजार कीजिए!
'किशन' या 'राधा' : पांडा की माया में कोर्ट की बाधा
कोर्ट ने ऐसी अनोखी सलाह शायद ही किसी को दी होगी, जैसी उसने यूपी के पूर्व आईजी डी. के. पांडा को दी। इस स्वघोषित 'दूसरी राधा' ने भगवा बाना तो पिछले साल ही पहन लिया था, लेकिन मोह-माया इस साल भी नहीं छोड़ पाए। पत्नी ने ज्यादा गुजारा भत्ता मांगा, तो पांडा पहुंच गए सुप्रीम कोर्ट। सुप्रीम कोर्ट में बेंच ने उनसे सीधा सवाल किया, 'आज आप राधा हैं या कृष्ण।' पांडा सकपकाए और सीधे मुद्दे पर आए कि उनकी पेंशन बहुत कम है, इसलिए पत्नी का गुजारा भत्ता कम कर दिया जाए, लेकिन बेंच ने कोई दलील नहीं मानी। बेंच ने उन्हें सलाह दी कि वे अब राधा तो बन ही गए हैं, तो कमंडल लें और मथुरा-गोकुल में विचरण करें। उन्हें अपनी पत्नी को पहले जितना ही पैसा देना होगा।
मुंबई में पंगा: मन चंगा, तो समुद्र में गंगा
इसे कहते हैं चमत्कार को नमस्कार। १८ अगस्त की रात मुंबई अशांत था और वहां के माहिम बीच पर लोगों की भीड़ जमा थी। खारेपन की वजह से समुद्री पानी से कुल्ला तक नहीं करने वाले लोग बोतलों और बाल्टियों में समुद्री पानी भर रहे थे। कोई उसे पी रहा था, तो कोई संभालकर रख रहा था, क्योंकि समुद्री पानी के इस मीठेपन को लोग वहां स्थित मखदूम शाह की दरगाह का 'प्रताप' मान रहे थे। लोगों ने उस पानी को विदेश में रहने वाले अपने परिजनों तक पहुंचाया। गेटर मुंबई की म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन लोगों को बार-बार चेताती रही कि बिना केमिकल टेस्ट के उस पानी को कोई न पिये, लेकिन आस्था के सामने किसका तर्क चलता है! लोगों ने तब तक उस गंदे पानी को जमकर पिया, जब तक कि किसी 'केमिकल लोचे' से मीठा हुआ वह पानी फिर से खारा नहीं हो गया।
...और अंत में
पुरुष की आबरू तार-तार: महिलाओं ने किया बलात्कार
यह कुछ वैसा ही है, जैसे कोई आदमी कुत्ते को काट खाए। जी हां, इसी महीने दो कुवैती महिलाओं को वहां की अदालत ने एक पुरुष के साथ बलात्कार करने के अपराध में सात-सात साल की सजा सुनाई है। पुरुष ने कोर्ट में उन महिलाओं के खिलाफ मारपीट कर संबंध स्थापित करने का आरोप लगाया था, जो साबित हो गया। हालांकि निचली अदालत ने उन महिलाओं को १५-१५ साल की सजा सुनाई थी, लेकिन ऊपरी अदालत ने उसे सात-सात साल कर दिया।
हिमेश रेशमिया: कंठ नहीं, नाक पर नाज
किसी का सुर मन मोह ले, तो कहते हैं कि उसके गले में सरस्वती का वास है, लेकिन हिमेश के मामले में आप ऐसा नहीं कह सकते। तो क्या हिमेश की नाक में सरस्वती का वास है? लगता तो कुछ ऐसा ही है। संगीतकार से गायक बने हिमेश की नाक ने ऐसा सुरीला गाया कि इतिहास लिख दिया। इस साल उनके तीन दर्जन गाने सुपर हिट हुए, जो ऐतिहासिक है। हालत यह रही कि रफी-लता को सुनकर बड़े हुए पैरंट्स हिमेश को गालियां देते रहे और उनके बच्चे हाई वॉल्यूम पर 'झलक दिखला जा...' पर साल भर थिरकते रहे।
आनंद जिले के भलेज गांव में तो गजब ही हो गया। वहां के ग्रामीणों ने कहा कि हिमेश के गाने 'झलक दिखला जा, एक बार आ जा...' को सुनकर गांव में भूत निकल आया। इस घटना के बाद उस गांव से हिमेश के अलबमों को 'गांवबदर' कर दिया गया। कहीं-कहीं उनके इस गाने को सुनकर सांप भी निकला और खबर बन गया। वैसे, विडंबना यह है कि इस बड़बोले संगीतकार- गायक को आशा भोंसले ने इस साल थप्पड़ भी रसीद करना चाहा।
मटुक की 'जवानी' ने ली अंगड़ाई: बाबा वैलंटाइन की कुर्सी डगमगाई
प्रेम के पथ पर पटना के हिंदी के प्रफेसर मटुक नाथ इस साल कुछ ऐसे दौड़े कि उनके सामने बाबा वैलंटाइन का कद छोटा दिखने लगा। अपनी शिष्या से प्यार तो बहुतों ने किया होगा, लेकिन सब कंबल ओढ़कर ही घी पीते रहे हैं। मटुक नाथ ने जिगर दिखाया और अपनी शिष्या जूली से प्रेम की बात स्वीकार कर सरेआम मुंह पर कालिख पुतवाई, लेकिन हंसते हुए। ऊंची-ऊंची दीवारों सी इस दुनिया की रस्में भी मटुक नाथ को अपनी जूली से मिलन को नहीं रोक पाईं।
भारतीय 'लव गुरु' की इस अदा से निश्चित रूप से स्वर्ग में बैठे सेंट वैलंटाइन को अपनी कुर्सी डगमगाती नजर आई होगी, लेकिन उनके फेवर में अच्छी बात यह रही कि यह घटना इस साल १४ फरवरी के काफी बाद हुई और अगली १४ फरवरी तक मटुकनाथ शायद ही किसी को याद रहे। अगर मटुक नाथ पर यह सब वैलंटाइन डे के पहले बीता होता, तो इस साल लोग 'मटुक नाथ डे' भी देख चुके होते।
कुएं में पहुंचा प्रिंसः आसमान पर पहुंची किस्मत
साठ फीट गहरे कुएं में गिरकर बचता कौन है और बचता भी है, तो कुएं से लाखों कमाता कौन है! लेकिन कुरुक्षेत्र के एक साधन विहीन गांव में पैदा हुए पांच साल के प्रिंस की चमकती तकदीर जैसे उस ६० फीट गहरे ट्यूबवेल में दफन थी, जिसमें वह इस साल जुलाई में गिरा। दो दिन की जद्दोजहद के बाद प्रिंस को कुएं से निकाला गया, तो जैसे उस पर मेहरबानियां बरस पड़ीं। दो दिन पहले तक एक जून रोटी को तरसने वाले प्रिंस के परिवार को सरकार और लोगों से लाखों मिले, तो किसी ने प्रिंस की जिंदगी भर की पढ़ाई के खर्च का जिम्मा लिया। प्रिंस के गड्ढे में गिरने से गांव की बदहाली दुनिया भर में दिखी और सरकार के लिए कलंक बनी, तो राज्य सरकार ने छह महीने के अंदर गांव की काया पलट कर दी। किसने सोचा होगा कि कल तक गांव की गलियों में धूल फांकने वाला बच्चा दो दिन में गांव का भाग्यविधाता बन जाएगा! ऐसा प्रिंस बनने के लिए तो हर कोई गड्ढे में गिरने को तैयार हो जाएगा।
मधु कोड़ा: अकेला घोड़ा
कुछ लोगों की तकदीर लिखते वक्त भगवान अपने कलम की पूरी स्याही खत्म कर डालते हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पर भी भगवान ने ऐसी ही मेहरबानी की। झारखंड के इस मोस्ट वॉन्टेड बैचलर विधायक को इस साल बीवी मिलने से पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल गई। आश्चर्य की बात यह कि मधु निर्दलीय विधायक हैं और मुख्यमंत्री बनने के लिए भी उन्हें किसी पार्टी में शामिल नहीं होना पड़ा। यानी 'निर्दलीय पार्टी' के इस एकमात्र विधायक ने सोनिया, लालू और शिबू सोरेन जैसे घाघ राजनीतिज्ञों को पानी पिला दिया।
विडंबना देखिए कि जिस प्रजातंत्र में 'बहुमत की जय' होती है, उसी प्रजातंत्र में एक विधानसभा क्षेत्र के कुछ हजार वोट से जीता विधायक करोड़ों मतदाताओं के प्रतिनिधियों को अपनी 'उंगली' पर नचा रहा है।
राजस्थान में आई 'सूनामी': बाढ़ में डूबे ऊंट!
राजस्थान बोलते ही जो तस्वीर जेहन में उभरती है, वह है बालू और बबूल का प्रदेश। लेकिन अब ऐसी तस्वीर जेहन में आप बाढ़ को भी शामिल कर लें। जी हां, सदियों से बूंद-बूंद पानी को तरसने वाले राजस्थान ने इस साल बाढ़ का विनाशक मंजर भी देखा। इस प्रदेश के लिए यह बाढ़ किसी सूनामी से कम नहीं रही। सिर्फ बाड़मेर में १०४ लोगों की बाढ़ से मौत हो गई, ४५ हजार मवेशी मर गए, जिनमें काफी संख्या में ऊंट भी थे। दरअसल, इस 'रेगिस्तानी जहाज' ने इतना पानी जिंदगी में नहीं देखा था। १२ जिलों में आई बाढ़ ने ऐसा कहर ढाया कि लोगों को बचाने के लिए सेना को उतरना पड़ा और राजस्थान सरकार को बाढ़ रिलीफ फंड में २१८ करोड़ रुपये डालने पड़े। कौन जाने, इस उलटवांसी के बाद अब चेरापूंजी में सूखे की खबर भी आ जाए!
डेटिंग अलाउंस: इतना बाउंस!
ये पत्नियां भी अजीब होती हैं, पति न कमाए तो परेशानी, ज्यादा कमाए तो परेशानी। अब बेंगलूर की तृप्ति निगम को ही लीजिए, इस साल बेचारी की परेशानी यह रही कि उसका पति ऐसी कंपनी में काम करता है, जहां डेटिंग अलाउंस मिलता है। दरअसल, इस अलाउंस से जब तक वह अपने पति के साथ डेटिंग पर जाती थी, तब तक तो सब ठीक-ठाक था, लेकिन दिक्कत यह हो गई कि ज्यादा पैसा होने के कारण उसका पति दूसरी महिलाओं के साथ भी डेटिंग पर जाने लगा। बस क्या था, तृप्ति पहुंच गईं कोर्ट और कर डाला विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी के खिलाफ केस। उसकी बस एक ही मांग थी, कंपनी कर्मचारी को देने वाले डेटिंग अलाउंस बंद करे। तो क्या अब पत्नियों की शिकायत पर दिलफेंक पतियों की सैलरी भी बंद होगी? बड़ा सवाल है, समय का इंतजार कीजिए!
'किशन' या 'राधा' : पांडा की माया में कोर्ट की बाधा
कोर्ट ने ऐसी अनोखी सलाह शायद ही किसी को दी होगी, जैसी उसने यूपी के पूर्व आईजी डी. के. पांडा को दी। इस स्वघोषित 'दूसरी राधा' ने भगवा बाना तो पिछले साल ही पहन लिया था, लेकिन मोह-माया इस साल भी नहीं छोड़ पाए। पत्नी ने ज्यादा गुजारा भत्ता मांगा, तो पांडा पहुंच गए सुप्रीम कोर्ट। सुप्रीम कोर्ट में बेंच ने उनसे सीधा सवाल किया, 'आज आप राधा हैं या कृष्ण।' पांडा सकपकाए और सीधे मुद्दे पर आए कि उनकी पेंशन बहुत कम है, इसलिए पत्नी का गुजारा भत्ता कम कर दिया जाए, लेकिन बेंच ने कोई दलील नहीं मानी। बेंच ने उन्हें सलाह दी कि वे अब राधा तो बन ही गए हैं, तो कमंडल लें और मथुरा-गोकुल में विचरण करें। उन्हें अपनी पत्नी को पहले जितना ही पैसा देना होगा।
मुंबई में पंगा: मन चंगा, तो समुद्र में गंगा
इसे कहते हैं चमत्कार को नमस्कार। १८ अगस्त की रात मुंबई अशांत था और वहां के माहिम बीच पर लोगों की भीड़ जमा थी। खारेपन की वजह से समुद्री पानी से कुल्ला तक नहीं करने वाले लोग बोतलों और बाल्टियों में समुद्री पानी भर रहे थे। कोई उसे पी रहा था, तो कोई संभालकर रख रहा था, क्योंकि समुद्री पानी के इस मीठेपन को लोग वहां स्थित मखदूम शाह की दरगाह का 'प्रताप' मान रहे थे। लोगों ने उस पानी को विदेश में रहने वाले अपने परिजनों तक पहुंचाया। गेटर मुंबई की म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन लोगों को बार-बार चेताती रही कि बिना केमिकल टेस्ट के उस पानी को कोई न पिये, लेकिन आस्था के सामने किसका तर्क चलता है! लोगों ने तब तक उस गंदे पानी को जमकर पिया, जब तक कि किसी 'केमिकल लोचे' से मीठा हुआ वह पानी फिर से खारा नहीं हो गया।
...और अंत में
पुरुष की आबरू तार-तार: महिलाओं ने किया बलात्कार
यह कुछ वैसा ही है, जैसे कोई आदमी कुत्ते को काट खाए। जी हां, इसी महीने दो कुवैती महिलाओं को वहां की अदालत ने एक पुरुष के साथ बलात्कार करने के अपराध में सात-सात साल की सजा सुनाई है। पुरुष ने कोर्ट में उन महिलाओं के खिलाफ मारपीट कर संबंध स्थापित करने का आरोप लगाया था, जो साबित हो गया। हालांकि निचली अदालत ने उन महिलाओं को १५-१५ साल की सजा सुनाई थी, लेकिन ऊपरी अदालत ने उसे सात-सात साल कर दिया।
टिप्पणियाँ
साथ ही आपको नववर्ष की शुभकामनायें
अन्त वाला किस्सा बड़ा डरावना है अब महिलायें भी ....?
नववर्ष बहुत-बहुत मुबारक।