रावण का इंटरभ्यू
दिल्ली में आजकल रावणों की संख्या अचानक से बढ़ गई है। जी हां, चोर-उचक्के , गिरहकट, लंपट औरो बलात्कारी जैसन कलियुगी जिंदा रावण तो पहिले से यहां बहुत थे, आजकल त्रेतायुगीन रावण के पुतले की भी भरमार है। तो हुआ ई कि हमरी संपादक जी ने कहा कि दशहरा के मौके पर रावण का इंटरभ्यू लेकर आओ। खैर, हमको बेसी खोजना नहीं पड़ा, बगल वाले पार्क में ही ऊ मूंछ पर हाथ फेरते दिख गए। हमने इंटरभ्यू की बात कही, तो ऊ नेता जी जैसन खुश हो गए औरो दे डाला एक धांसू इंटरभ्यू। लीजिए, आप भी पढि़ए :
'दिल्ली में आपकी संख्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है...।'
'बात ई है कि लोगों में फरस्टेशन बढ़ गया है। दिल्ली में चोर-उचक्कों औरो हत्यारों की संख्या बढ़ गई है, लेकिन लोग उनका कुछो बिगाड़ नहीं पा रहे हैं। ऐसे में हमरा पुतला फूंककर ऊ अपना फरस्टेशन निकालते हैं। इससे उनको सुकून मिलता है। अब जैसे-जैसे उनका फरस्टेशन बढ़ रहा है, हमरे पुतलों की संख्या भी ऊ बढ़ाते जा रहे हैं। फिर हुआ इहो है कि जेतना चोर-उचक्का सब था, सब नेता बन गया है। हमरा पुतला फूंककर ऊ सब जनता को समझाना चाहते हैं कि ऊ पापी तो हैं, लेकिन रावण जितना नहीं। खैर, हमरी तो तभियो मौज है-- राम लीला देखने कोयो नहीं जाता, लेकिन रावण दहन देखने लोग सपरिवार आते हैं।
'आपके पुतलों की ऊंचाइयो बढ़ती जा रही है?'
'अरे, नहीं नहीं... ई कहिए कि जेतना ऊंचा होना चाहिए, हो नहीं पा रहा। बात ई है कि हमरा पुतला फूंकने का सबसे बेसी आयोजन बेईमानी-शैतानी से पैसा कमाने वाले सब ही करते हैं औरो बेईमानों के लिए इस बार सीजन तनिये ठंडा है। लोन महंगा हो गया, इसलिए लोग घर नहीं ले पा रहे। ऐसे में बिल्डर औरो परोपरटी डीलर पैसा नहीं बना पा रहे, तो कोर्ट के रवैये से ब्लूलाइन वालों की कमाई कम हो गई है, इसलिए पुतलों के लिए चंदा जुटाना 'रावण फूंको' समितियों के लिए मोश्किल हो गया है। उम्मीद रखिए, जैसे-जैसे बेईमानी, शैतानी औरो घूसखोरी बढ़ती जाएगी, हमरे पुतले की ऊंचाइयो बढ़ती जाएगी। यानी कलियुगी रावणों को जेतना सरकारी समरथन मिलेगा, ऊ पब्लिक को जेतना नोंच-खसोट पाएंगे, इस त्रेतायुगी रावण की ऊंचाईयो ओतने बढ़ेगी।'
'भारत सरकार का मानना है कि राम कभियो थे ही नहीं। जब राम नहीं थे, तब आप कहां से आ गए?'
'राम ठीके नहीं थे। जिंदा रहते हुए तो हमने खुदे राम के अस्तित्व को कभियो नहीं माना। अब का है कि हर वह व्यक्ति, जिसमें रावण-तत्व होता है, राम के अस्तित्व को चुनौती देता है औरो मरने के बाद अंतत: राम का अस्तित्व मानने लगता है, जैसा कि हमने किया। हमही नहीं, भाजपाई भी ऐसने करते हैं, जब तक सत्ता हाथ में रही राम मंदिर के बारे में कुछो सोचबे नहीं किया, जैसने सत्ता हाथ से गई कि फिर से उनका राम-राम शुरू हो गया! ऐसन में हम तो कांगरेसियों को बुद्धिमान मानता हूं कि समय रहते इसने राम के अस्तित्व को मान लिया, वरना...।'
'लेकिन करुणानिधि का भी तो ऐसने मानना है?'
'यार, तुम मीडिया वाला सब भी न एक नंबर के बेकूफ होते हो। अब तुम्ही बताओ, जिस व्यक्ति ने मारन जैसन योग्य आदमी को केंद्रीय मंत्रीमंडल से हटवाकर एक घोषित अपराधी की बीवी को केंद्र में मंत्री बना दिया, उससे अगर तुम राम के अस्तित्व बारे में सारटिफिकेट लेने जाओगे, तो ऐसने सारटिफिकेट मिलेगा न!'
'अपनी छवि सुधारने के लिए आप कुछो करते काहे नहीं हैं?'
'छवि सुधारकर करूंगा का? इस दुनिया में इस छवि के साथ जीना बेसी आसान है, चाहे त्रेतायुग हो या सतयुग! बदमाश होने का मतलब है कि कोयो आपसे भिड़ने अइबे नहीं करेगा, बस करते रहिए सज्जनों पर राज। अपराधियों को वैसे भी इस दुनिया में बेसी पब्लिसिटी मिलती है, देख लो हर चैनल पर कराइम शो चलता है, इंसानियत पर शो चलते कभियो देखा है!
रावण जी से इंटरभ्यू के बाद हमको तो सत्य का घनघोर ज्ञान हो गया, पता नहीं आपको पढ़ने के बाद कुछो हुआ है कि नहीं!
'दिल्ली में आपकी संख्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है...।'
'बात ई है कि लोगों में फरस्टेशन बढ़ गया है। दिल्ली में चोर-उचक्कों औरो हत्यारों की संख्या बढ़ गई है, लेकिन लोग उनका कुछो बिगाड़ नहीं पा रहे हैं। ऐसे में हमरा पुतला फूंककर ऊ अपना फरस्टेशन निकालते हैं। इससे उनको सुकून मिलता है। अब जैसे-जैसे उनका फरस्टेशन बढ़ रहा है, हमरे पुतलों की संख्या भी ऊ बढ़ाते जा रहे हैं। फिर हुआ इहो है कि जेतना चोर-उचक्का सब था, सब नेता बन गया है। हमरा पुतला फूंककर ऊ सब जनता को समझाना चाहते हैं कि ऊ पापी तो हैं, लेकिन रावण जितना नहीं। खैर, हमरी तो तभियो मौज है-- राम लीला देखने कोयो नहीं जाता, लेकिन रावण दहन देखने लोग सपरिवार आते हैं।
'आपके पुतलों की ऊंचाइयो बढ़ती जा रही है?'
'अरे, नहीं नहीं... ई कहिए कि जेतना ऊंचा होना चाहिए, हो नहीं पा रहा। बात ई है कि हमरा पुतला फूंकने का सबसे बेसी आयोजन बेईमानी-शैतानी से पैसा कमाने वाले सब ही करते हैं औरो बेईमानों के लिए इस बार सीजन तनिये ठंडा है। लोन महंगा हो गया, इसलिए लोग घर नहीं ले पा रहे। ऐसे में बिल्डर औरो परोपरटी डीलर पैसा नहीं बना पा रहे, तो कोर्ट के रवैये से ब्लूलाइन वालों की कमाई कम हो गई है, इसलिए पुतलों के लिए चंदा जुटाना 'रावण फूंको' समितियों के लिए मोश्किल हो गया है। उम्मीद रखिए, जैसे-जैसे बेईमानी, शैतानी औरो घूसखोरी बढ़ती जाएगी, हमरे पुतले की ऊंचाइयो बढ़ती जाएगी। यानी कलियुगी रावणों को जेतना सरकारी समरथन मिलेगा, ऊ पब्लिक को जेतना नोंच-खसोट पाएंगे, इस त्रेतायुगी रावण की ऊंचाईयो ओतने बढ़ेगी।'
'भारत सरकार का मानना है कि राम कभियो थे ही नहीं। जब राम नहीं थे, तब आप कहां से आ गए?'
'राम ठीके नहीं थे। जिंदा रहते हुए तो हमने खुदे राम के अस्तित्व को कभियो नहीं माना। अब का है कि हर वह व्यक्ति, जिसमें रावण-तत्व होता है, राम के अस्तित्व को चुनौती देता है औरो मरने के बाद अंतत: राम का अस्तित्व मानने लगता है, जैसा कि हमने किया। हमही नहीं, भाजपाई भी ऐसने करते हैं, जब तक सत्ता हाथ में रही राम मंदिर के बारे में कुछो सोचबे नहीं किया, जैसने सत्ता हाथ से गई कि फिर से उनका राम-राम शुरू हो गया! ऐसन में हम तो कांगरेसियों को बुद्धिमान मानता हूं कि समय रहते इसने राम के अस्तित्व को मान लिया, वरना...।'
'लेकिन करुणानिधि का भी तो ऐसने मानना है?'
'यार, तुम मीडिया वाला सब भी न एक नंबर के बेकूफ होते हो। अब तुम्ही बताओ, जिस व्यक्ति ने मारन जैसन योग्य आदमी को केंद्रीय मंत्रीमंडल से हटवाकर एक घोषित अपराधी की बीवी को केंद्र में मंत्री बना दिया, उससे अगर तुम राम के अस्तित्व बारे में सारटिफिकेट लेने जाओगे, तो ऐसने सारटिफिकेट मिलेगा न!'
'अपनी छवि सुधारने के लिए आप कुछो करते काहे नहीं हैं?'
'छवि सुधारकर करूंगा का? इस दुनिया में इस छवि के साथ जीना बेसी आसान है, चाहे त्रेतायुग हो या सतयुग! बदमाश होने का मतलब है कि कोयो आपसे भिड़ने अइबे नहीं करेगा, बस करते रहिए सज्जनों पर राज। अपराधियों को वैसे भी इस दुनिया में बेसी पब्लिसिटी मिलती है, देख लो हर चैनल पर कराइम शो चलता है, इंसानियत पर शो चलते कभियो देखा है!
रावण जी से इंटरभ्यू के बाद हमको तो सत्य का घनघोर ज्ञान हो गया, पता नहीं आपको पढ़ने के बाद कुछो हुआ है कि नहीं!
टिप्पणियाँ
आज कल ज्यादा लिखते नहीं बाबू.. का बात है?
निजी ज़िंदगी में कुछ ज्यादा बिजी हो गया हूँ, इसलिए नहीं लिख पा रहा हूँ. उम्मीद है जल्दी ही ज्यादा लिखने के लिए समय निकाल पाउँगा.
कम कम आते हैं
मगर जब भी आते हैं,
जलवा दिखा जाते हैं.
--आनन्द आ गया.