आजकल हर जगह किडनी का शोर है। कोयो किडनी बेचने वालों को गरिया रहा है, तो कोयो किडनी खरीदने वालों को। कोयो किडनी दान की वकालत कर रहा है, तो कोयो कानून आसान करने की बात, लेकिन दिक्कत ई है कि असली समस्या पर किसी का ध्याने नहीं जा रहा।
दरअसल, किडनी सुनकर भले ही आपको अपना जिगर या जिगर का टुकड़ा याद आता हो, लेकिन हमरी स्थिति ई है कि किडनी का नाम सुनते ही हमको दारू की याद आती है औरो किडनी खराब होने की बात सुनकर दारूबाज की। दिलचस्प बात इहो कि दारू या दारूबाज याद आते ही हमको गांधीजी याद आ जाते हैं औरो जब गांधीजी याद आते हैं, तो याद आ जाती है अपने देश की सरकार।
हमरे खयाल से किडनी चोरी कांडों के लिए सबसे बेसी जिम्मेदार सरकार ही है। काहे कि अपना रेभेन्यू बढ़ाने के लिए सरकार जमकर दारू बेचती है औरो उसके बेचे गए दारू को पी-पीकर ही लोग अपना किडनी खराब कर लेते हैं। जैसे जैसे सरकार की तिजोरी भरती जाती है, किडनी खराब लोगों की संख्या भी देश में बढ़ती जाती है। अब सरकार या तो दारू बेच ले या फिर किडनी चोरों से समाज को बचा ले!
अभिये गांधी जयंती पर दिल्ली सरकार ने एक ठो विज्ञापन निकाला कि गांधी जी दारू के खिलाफ थे, इसलिए जनता से अपील है कि ऊ दारू छोड़ दे। ई वही दिल्ली सरकार है, जो रोज इस जुगाड़ में लगी रहती है कि उसके राज्य में दारू बेसी बिके, ताकि रेभेन्यू बेसी आए। इसके लिए उसने केतना कुछ नहीं किया- ऊ चाहती है कि दारू पीने की न्यूनतम आयु घटा दी जाए, ताकि राज्य में दारूबाजों की संख्या बढ़ सके। तर्क ई है कि जब भोट डालने की उमर 18 साल है, तो मुंह में दारू लगाने की उमर बेसी काहे हो? ऊ चाहती है कि दिल्ली के बारों में बालाएं दारू परोसें, ताकि लोग बहक-बहककर दारू पीएं औरो दारू की बिक्री में इजाफा हो। कोशिश तो इहो हो रही है कि परचून की दुकान तक पर बियर जैसी चीज बेचने की इजाजत मिले। अब आप ही बताइए, ऐसन सरकार को गांधी जी के नाम पर ढोंग करने की जरूरत का है?
सच बात तो ई है कि जे जेतना पैसे वाला होता है, ऊ ओतना दारू पीता है औरो उसका किडनी भी ओतने बेसी खराब होता है। अब जब किडनी खराब हो जाता है, तो पैसा वाला लोग बाजार में थैली लेकर निकल पड़ते हैं, काहे कि पैसा कमाने के चक्कर में उसका कोई नाते-रिश्तेदार तो बचता नहीं, जो उसके लिए अपना किडनी दान कर सके! अब जब पैसा वाला बाजार में थैली लेकर उतरेगा, तो बेईमान को कौन पूछे, नीयत तो ईमानदारों की भी डोलबे करेगी। औरो जब नीयत डोल गई, तो किडनी चोरी में टाइमे केतना लगता है। आप भरती हुए पेट दरद के इलाज के लिए औरो डाक्टर ने आपकी किडनी निकालकर बेच दी।
अब दिक्कत बस ई है कि किडनी गरीबों की ही जाती है, चाहे दारू पीकर जाए या फिर दारू पीने वालों के चक्कर में। अमीर तो तभियो लाखों खरच कर किडनी लगा लेगा, बेचारे गरीबों की एतना औकात कहां!
3 comments:
कमाल लिखते हैं आप भी... :)
जबरदस्त...कम ही दिख रहे हो..जरा फोन नम्बर तो ईमेल करते...-sameer.lal@gmail.com
क्या बात है!!
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