जो दुनिया लूटे, महबूबा उसे लूटे
ई गजब का रिवाज है। जो व्यक्ति दुनिया को लूटता है या फिर जिसको दुनिया नहीं लूट पाती, ऊ 'बेचारे' महबूबा के हाथों बुरी तरह लुटते हैं औरो अजीब देखिए कि लुट-लुटकर भी खुश रहते हैं। यानी महबूबा दुनिया की सबसे बड़ी लुटेरिन होती हैं या फिर आप इहो कह सकते हैं कि ऊ 'भाइयों' की 'भाई' होती हैं। इसलिए भैय्या, हम तो यही कहेंगे कि बढ़िया तो ई होगा कि आप दुनिये मत लूटिए औरो लूटना ही है, तो महबूबा मत 'पालिए'। पाप ही करना है, तो अपने लिए कीजिए न, हाड़-मांस के एक लोथड़े के लिए पाप काहे करना!
लुटेरों को महबूबा कैसे लूटती है, इसका बहुते उदाहरण है। 'डी' कंपनी से दुनिया थर्राती है। मुंबई से लेकर दुबई तक लोग दाऊद इबराहिम के नाम से कांपते हैं औरो हफ्ता चुका-चुकाकर दिन काटते हैं। उसी 'बेचारे' दाऊद का जेतना माल उसकी महबूबा मंदाकिनी ने उड़ाया, ओतना किसी ने नहीं! दाऊदे का चेलबा है अबू सलेम। गुरु गुड़ है, तो चेला भी प्यार-मोहब्बत के फेर में फंसकर कम चीनी नहीं बना। मोनिका बेदी के प्यार के कोल्हू में बेचारे की इतनी पेराई हुई कि कट्टा के बल पर कमाया करोड़ों रुपैया कब उसकी जेब से खिसक गया, बेचारे को पते नहीं चला!
अब्दुल करीम तेलगी ने एतना नकली स्टाम्प छापा कि सरकार के खजाने का तेल निकल गया। अजीब देखिए कि सरकारी खजाने को जमकर लूटने वाले इस लुटेरे के दिल को दो कौड़ी की एक बार बाला ने लूट लिया। औरो ऐसन लूटा कि एक दिन में तेलगी ने उस हुस्न पर 90 लाख रुपये निसार कर दिए औरो ऊ भी नकद में। प्यार-व्यार में जब लोग पड़ते हैं, तो कहते हैं कि किसी ने उसका दिल जीत लिया।
परभात जी की बात मानें, तो दिल उसके पास होता है, जो संवेदनशील होते हैं औरो यही वजह है कि क्रिएटिव लोग, मतलब कवि, कलाकार, साहित्यकार इश्क-विश्क के चक्कर में बेसी पड़ते हैं। लेकिन हम तो दावे के साथ कहता हूं कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। संवेदनशीलता का इश्क से कौनो चक्कर है ही नहीं। आप ही कहिए, अगर ऐसा होता, तो सैकड़ों लोगों की किडनी लूटकर बेच देने वाले जल्लाद अमित कुमार की आधा दर्जन महबूबा होती? आपको का लगता है कि अमित कुमार का दिल देखकर किसी महिला ने उसे अपना दिल दिया होगा? कतई नहीं। विश्वास कीजिए, दिल नहीं उन महबूबाओं ने जिगर गिना होगा! उन महिलाओं ने देखा होगा कि उसने केतना लोगों का जिगर काटकर केतना पैसा जुटाया है, जिसको लूटा जा सके। लुटेरों की नियति देखिए कि मासूमों का जिगर लूटकर और बेचकर अमित कुमार ने जो करोड़ों कमाया, महबूबाओं ने उसमें से लाखों उड़ाया!
वैसे, ऐसन भी नहीं है कि लुटेरों की ही महबूबा बनती है, सच तो ई है कि महबूबा पुरुषों को लुटेरा बनाती भी है। दिल्ली में हर साल सैकड़ों ऐसन शोहदे पकड़े जाते हैं, जो महबूबा को खुश करने के लिए दूसरों को लूटते हैं। वे लड़कियों को पटाने के लिए पॉकेटमारी से लेकर झपटमारी तक करते हैं औरो महंगा गिफ्ट देकर खुश रखते हैं। वैसे, महबूबा ही नहीं, पत्नियां भी लोगों को लुटेरा बनाती हैं। आखिर सरकारी बाबू औरो साहब लोग पत्नियों के लिए ऐशो आराम की चीज जुटाने के चक्कर में ही तो घूस लेते हैं, भ्रष्ट बनते हैं, मंतरी-संतरी के साथ मिलकर घोटाला करते हैं।
तो का पुरुषों को लुटेरा बनाने में महिलाओं का हाथ है? पता नहीं... कह नहीं सकता, आखिर शादीशुदा आदमी हूं भाई!
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