किरकेटिया कनफूजन
शाहरुख खान औरो अक्षय कुमार आजकल फिलिम से बेसी किरकेट में घुसकर चरचा बटोर रहे हैं। शाहरुख के हाथ में गेंद औरो अक्षय के हाथ में बल्ला... लोग कनफूजिया रहे हैं- कल तक तो पर्दे पर महाशय नचनिया बने घूम रहे थे, किरकेटर कब बन गए? अभी तक किसी टीम में खेलते तो नहीं देखा...।
लोग हैरान हैं, तो किरकेटो कम हैरान नहीं है। ऊ ई तो जानता है कि आजकल दुनिया में कोयो अपना काम कर खुश नहीं रहता, इसलिए दूसरों की फटी में टांग अड़ाता रहता है। लेकिन दिक्कत ई है कि लोग अब उसकी फटी में भी टांग अड़ाने लगे हैं। उसको अपना स्टेटस कम होता नजर आने लगा है। कहां तो लोग उसे भारत का धरम कहते थे औरो किरकेटरों को भगवान, तो कहां स्थिति ई है कि अपना जादू कायम रखने के लिए उसे अब बालिवुडिया 'देवी-देवताओं' की मदद लेनी पड़ रही है। उसके अपने किरकेटिया भगवान तो गाय-भैंस बनकर कब के नीलामी में सरेआम बिक गए!
किरकेट का आगे का होगा, ई सोचकर हमरे मिसिर जी भी परेशान हैं। उनको पता है कि चीजांे का ऐसन घालमेल बहुते खराब होता है। घालमेल की वजह से ही ऊ अक्सर मनमोहन सिंह को भूलकर सोनिया गांधी को परधान मंतरी कह देते हैं, तो शरद पवार को किरकेट मंतरी। अर्जुन सिंह को ऊ मानव संसाधन मंतरी नहीं, बल्कि आरक्षण मंतरी के रूप में जानते हैं, तो रामदास को स्वास्थ्य मंतरी के बजाय एम्स मंतरी औरो तम्बाकू निरोध मंतरी के रूप में।
ऐसन में उनको लग रहा है कि कुछ साल बाद किरकेट भी उनको कुछो दूसरे चीज बुझाएगा। काहे कि आईपीएल औरो आईसीएल में उनको किरकेट के अलावा सब कुछ होता दिख रहा है। पैसा कमाने के लिए दर्शकों को फाइव स्टार सुविधा देने की बात हो रही है। लोग अब अय्याशी करते हुए मैदान में किरकेट मैच देख सकेंगे। पैवेलियन में शराब परोसी जाएगी औरो का पता बाद में शबाब परोसने की भी बात तै हो जाए! आखिर आईपीएल पर अरबों का दांव लगाने वालों को अपना पैसो तो वसूलना है। वैसे, दर्शकों के मुंह में शबाब तो कब की लग चुकी है। पहिले चौका-छक्का लगता था, तो लोग बाउंड्री के पार बॉल पर नजर दौड़ाते थे, अब इधर बॉल बाउंडरी पार करता है औरो उधर कुछ अधनंगी बालाएं एक कोने में मंच पर विचित्र-सी भाव भंगिमा में नाचने लगती हैं। लोग बॉल को छोड़ बालाओं को देखने लगता है। यानी, चौके-छक्के की औकात कम हो गई, बाउंड्री पर नाचने वालीं फिरंगन बालाओं की बढ़ गई। वैसे, मिसिर जी की समझ में इहो नहीं आता कि मैच जब भारत में हो रहा है, तो बाउंड्री पर थिरकने वाली नचनियां फिरंगन काहे होती हैं?
मिसिर जी तो डेड शियोर हैं कि अगर ऐसने चलता रहा, तो जल्दिये किरकेटो का अस्तित्व हॉकिए जैसन ढूंढने से नहीं मिलेगा। काहे कि आईपीएल का मसाला उसको कहीं का नहीं छोड़ेगा। दर्शकों को स्टेडियम तक खींचने के लिए शाहरुख व माल्या जैसन लोग कुछो कर सकते हैं औरो गियानी लोग कह गए हैं कि किसी भी चीज की अति ठीक नहीं!
लोग हैरान हैं, तो किरकेटो कम हैरान नहीं है। ऊ ई तो जानता है कि आजकल दुनिया में कोयो अपना काम कर खुश नहीं रहता, इसलिए दूसरों की फटी में टांग अड़ाता रहता है। लेकिन दिक्कत ई है कि लोग अब उसकी फटी में भी टांग अड़ाने लगे हैं। उसको अपना स्टेटस कम होता नजर आने लगा है। कहां तो लोग उसे भारत का धरम कहते थे औरो किरकेटरों को भगवान, तो कहां स्थिति ई है कि अपना जादू कायम रखने के लिए उसे अब बालिवुडिया 'देवी-देवताओं' की मदद लेनी पड़ रही है। उसके अपने किरकेटिया भगवान तो गाय-भैंस बनकर कब के नीलामी में सरेआम बिक गए!
किरकेट का आगे का होगा, ई सोचकर हमरे मिसिर जी भी परेशान हैं। उनको पता है कि चीजांे का ऐसन घालमेल बहुते खराब होता है। घालमेल की वजह से ही ऊ अक्सर मनमोहन सिंह को भूलकर सोनिया गांधी को परधान मंतरी कह देते हैं, तो शरद पवार को किरकेट मंतरी। अर्जुन सिंह को ऊ मानव संसाधन मंतरी नहीं, बल्कि आरक्षण मंतरी के रूप में जानते हैं, तो रामदास को स्वास्थ्य मंतरी के बजाय एम्स मंतरी औरो तम्बाकू निरोध मंतरी के रूप में।
ऐसन में उनको लग रहा है कि कुछ साल बाद किरकेट भी उनको कुछो दूसरे चीज बुझाएगा। काहे कि आईपीएल औरो आईसीएल में उनको किरकेट के अलावा सब कुछ होता दिख रहा है। पैसा कमाने के लिए दर्शकों को फाइव स्टार सुविधा देने की बात हो रही है। लोग अब अय्याशी करते हुए मैदान में किरकेट मैच देख सकेंगे। पैवेलियन में शराब परोसी जाएगी औरो का पता बाद में शबाब परोसने की भी बात तै हो जाए! आखिर आईपीएल पर अरबों का दांव लगाने वालों को अपना पैसो तो वसूलना है। वैसे, दर्शकों के मुंह में शबाब तो कब की लग चुकी है। पहिले चौका-छक्का लगता था, तो लोग बाउंड्री के पार बॉल पर नजर दौड़ाते थे, अब इधर बॉल बाउंडरी पार करता है औरो उधर कुछ अधनंगी बालाएं एक कोने में मंच पर विचित्र-सी भाव भंगिमा में नाचने लगती हैं। लोग बॉल को छोड़ बालाओं को देखने लगता है। यानी, चौके-छक्के की औकात कम हो गई, बाउंड्री पर नाचने वालीं फिरंगन बालाओं की बढ़ गई। वैसे, मिसिर जी की समझ में इहो नहीं आता कि मैच जब भारत में हो रहा है, तो बाउंड्री पर थिरकने वाली नचनियां फिरंगन काहे होती हैं?
मिसिर जी तो डेड शियोर हैं कि अगर ऐसने चलता रहा, तो जल्दिये किरकेटो का अस्तित्व हॉकिए जैसन ढूंढने से नहीं मिलेगा। काहे कि आईपीएल का मसाला उसको कहीं का नहीं छोड़ेगा। दर्शकों को स्टेडियम तक खींचने के लिए शाहरुख व माल्या जैसन लोग कुछो कर सकते हैं औरो गियानी लोग कह गए हैं कि किसी भी चीज की अति ठीक नहीं!
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